Tuesday, 14 February 2017

वंश विवरण

Menu  Search mahatammishra Ke man ki Aawaz…. MONTHLY ARCHIVES: APRIL 2013 ” पुस्तगाषा से सम्बंधित कुछ पुरानी बातें” कुछ पुरानी बातें जो शादी-ब्याह के अवसर पर अचानक पटल पर आ ही जातीं हैं जिसका यथा संभव निवारण:- एक महान सज्जन श्री जोगराम मिश्र पुत्र श्री इन्द्रदत्त मिश्र, (ग्राम-शिशवा, बांसगांव, गोरखपुर, हाल निवासी शिहा मोतीगंज बाजार, गोंडा, उ. प्र.) के साथ एक खास मुलाकात में ब्राह्मण वंश के जाति गोत्रव गाँव का नाम तथा ऋषि वंशज के अनुसार कुछ पुरानें श्रोत जो मुझें इन बुजुर्ग महाशय से मिला वह कुछ इस प्रकार से है| ( श्री मुनेश्वर मिश्र इनके भतीजे आज भी शीशवाँ – बांसगाँव में रहते हैं) ब्राह्मणों में तीन-तेरह का प्राचीन प्रचलन तमाम तर्कों से आज तक जूझ रहा है| लोगों का तर्क- कुतर्क बहस का क्षणिक मुद्दा बन, बिना आधार के चलता रहता है| महान ऋषियों की संतान ब्राह्मण बंश आदि काल से अपनी परम्परा पर अपनें- अपनें बंश-गोत्र पर आज भी कायम है| पूर्वजों की परम्परा को देखें तो गर्ग, गौतम, श्री मुख शांडिल्य गोत्र को तीन का तथा अन्य को तेरह में बताया जाता है| गर्ग से शुक्ल, गौतम से मिश्र, श्री मुख शांडिल्य से तिवारी या त्रिपाठी बंश प्रकाश में आता है| गर्ग (शुक्ल- वंश) गर्ग ऋषि के तेरह लडके बताये जाते है जिन्हें गर्ग गोत्रीय, पंच प्रवरीय, शुक्ल बंशज कहा जाता है जो तेरह गांवों में बिभक्त हों गये थे| गांवों के नाम कुछ इस प्रकार है| (१) मामखोर (२) खखाइज खोर (३) भेंडी (४) बकरूआं (५) अकोलियाँ (६) भरवलियाँ (७) कनइल (८) मोढीफेकरा (९) मल्हीयन (१०) महसों (११) महुलियार (१२) बुद्धहट (१३) इसमे चार गाँव का नाम आता है लखनौरा, मुंजीयड, भांदी, और नौवागाँव| ये सारे गाँव लगभग गोरखपुर, देवरियां और बस्ती में आज भी पाए जाते हैं| उपगर्ग (शुक्ल-वंश) उपगर्ग के छ: गाँव जो गर्ग ऋषि के अनुकरणीय थे कुछ इस प्रकार से हैं| बरवां (२) चांदां (३) पिछौरां (४) कड़जहीं (५) सेदापार (६) दिक्षापार यही मूलत: गाँव है जहाँ से शुक्ल बंश का उदय माना जाता है यहीं से लोग अन्यत्र भी जाकर शुक्ल बंश का उत्थान कर रहें हैं यें सभी सरयूपारीण ब्राह्मण हैं| गौतम (मिश्र-वंश) गौतम ऋषि के छ: पुत्र बताये जातें हैं जो इन छ: गांवों के वाशी थे| (१) चंचाई (२) मधुबनी (३) चंपा (४) चंपारण (५) विडरा (६) भटीयारी इन्ही छ: गांवों से गौतम गोत्रीय, त्रिप्रवरीय मिश्र वंश का उदय हुआ है, यहीं से अन्यत्र भी पलायन हुआ है ये सभी सरयूपारीण ब्राह्मण हैं| उप गौतम (मिश्र-वंश) उप गौतम यानि गौतम के अनुकारक छ: गाँव इस प्रकार से हैं| (१) कालीडीहा (२) बहुडीह (३) वालेडीहा (४) भभयां (५) पतनाड़े (६) कपीसा इन गांवों से उप गौतम की उत्पत्ति मानी जाति है| वत्स गोत्र ( मिश्र- वंश) वत्स ऋषि के नौ पुत्र माने जाते हैं जो इन नौ गांवों में निवास करते थे| (१) गाना (२) पयासी (३) हरियैया (४) नगहरा (५) अघइला (६) सेखुई (७) पीडहरा (८) राढ़ी (९) मकहडा बताया जाता है की इनके वहा पांति का प्रचलन था अतएव इनको तीन के समकक्ष माना जाता है| कौशिक गोत्र (मिश्र-वंश) तीन गांवों से इनकी उत्पत्ति बताई जाती है जो निम्न है| (१) धर्मपुरा (२) सोगावरी (३) देशी बशिष्ट गोत्र (मिश्र-वंश) इनका निवास भी इन तीन गांवों में बताई जाती है| (१) बट्टूपुर मार्जनी (२) बढ़निया (३) खउसी शांडिल्य गोत्र ( तिवारी,त्रिपाठी -वंश) शांडिल्य ऋषि के बारह पुत्र बताये जाते हैं जो इन बाह गांवों से प्रभुत्व रखते हैं| (१) सांडी (२) सोहगौरा (३) संरयाँ (४) श्रीजन (५) धतूरा (६) भगराइच (७) बलूआ (८) हरदी (९) झूडीयाँ (१०) उनवलियाँ (११) लोनापार (१२) कटियारी, लोनापार में लोनाखार, कानापार, छपरा भी समाहित है इन्ही बारह गांवों से आज चारों तरफ इनका विकास हुआ है, यें सरयूपारीण ब्राह्मण हैं| इनका गोत्र श्री मुख शांडिल्य- त्रि -प्रवर है, श्री मुख शांडिल्य में घरानों का प्रचलन है जिसमे राम घराना, कृष्ण घराना, नाथ घराना, मणी घराना है, इन चारों का उदय, सोहगौरा- गोरखपुर से है जहाँ आज भी इन चारों का अस्तित्व कायम है| उप शांडिल्य ( तिवारी- त्रिपाठी, वंश) इनके छ: गाँव बताये जाते हैं जी निम्नवत हैं| (१) शीशवाँ (२) चौरीहाँ (३) चनरवटा (४) जोजिया (५) ढकरा (६) क़जरवटा भार्गव गोत्र (तिवारी या त्रिपाठी वंश) भार्गव ऋषि के चार पुत्र बताये जाते हैं जिसमें चार गांवों का उल्लेख मिलता है जो इस प्रकार है| (१) सिंघनजोड़ी (२) सोताचक (३) चेतियाँ (४) मदनपुर भारद्वाज गोत्र (दुबे वंश) भारद्वाज ऋषि के चार पुत्र बाये जाते हैं जिनकी उत्पत्ति इन चार गांवों से बताई जाती है| (१) बड़गईयाँ (२) सरार (३) परहूँआ (४) गरयापार कन्चनियाँ और लाठीयारी इन दो गांवों में दुबे घराना बताया जाता है जो वास्तव में गौतम मिश्र हैं लेकिन इनके पिता क्रमश: उठातमनी और शंखमनी गौतम मिश्र थे परन्तु वासी (बस्ती) के राजा बोधमल ने एक पोखरा खुदवाया जिसमे लट्ठा न चल पाया, राजा के कहने पर दोनों भाई मिल कर लट्ठे को चलाया जिसमे एक ने लट्ठे सोने वाला भाग पकड़ा तो दुसरें ने लाठी वाला भाग पकड़ा जिसमे कन्चनियाँ व लाठियारी का नाम पड़ा, दुबे की गादी होने से ये लोग दुबे कहलाने लगें| सरार के दुबे के वहां पांति का प्रचलन रहा है अतएव इनको तीन के समकक्ष माना जाता है| सावरण गोत्र ( पाण्डेय वंश) सावरण ऋषि के तीन पुत्र बताये जाते हैं इनके वहां भी पांति का प्रचलन रहा है जिन्हें तीन के समकक्ष माना जाता है जिनके तीन गाँव निम्न हैं| (१) इन्द्रपुर (२) दिलीपपुर (३) रकहट (चमरूपट्टी) सांकेत गोत्र (मलांव के पाण्डेय वंश) सांकेत ऋषि के तीन पुत्र इन तीन गांवों से सम्बन्धित बाते जाते हैं| (१) मलांव (२) नचइयाँ (३) चकसनियाँ कश्यप गोत्र (त्रिफला के पाण्डेय वंश) इन तीन गांवों से बताये जाते हैं| (१) त्रिफला (२) मढ़रियाँ (३) ढडमढीयाँ ओझा वंश इन तीन गांवों से बताये जाते हैं| (१) करइली (२) खैरी (३) निपनियां चौबे -चतुर्वेदी, वंश (कश्यप गोत्र) इनके लिए तीन गांवों का उल्लेख मिलता है| (१) वंदनडीह (२) बलूआ (३) बेलउजां एक गाँव कुसहाँ का उल्लेख बताते है जो शायद उपाध्याय वंश का मालूम पड़ता है| नोट:- खास कर लड़कियों की शादी- ब्याह में तीन तेरह का बोध किया और कराया जाता है| पूर्वजों द्वारा लड़कियों की शादीयाँ गर्ग, गौतम, और श्री मुख शांडिल्य गोत्र में अपने गाँव को छोड़ कर की जाती रहीं हैं| इटार के पाण्डेय व सरार के दुबे के वहां भी यही क्रम रहा है इन पाँचों में लड़कियों की शादी का आदान-प्रदान होता रहा है, इतर गोत्रो में लड़को की शादियाँ होती रहीं हैं| आज- कल यह अपवाद साबित होने लग पड़ा है| ये सारे गाँव जो बताये गये हैं वें गोरखपुर, देवरियां, बस्ती जनपद में खास कर पाए जातें हैं या तो आस-पास के जिले भी हों सकतें हैं, यें सब लोग सरयू पारीण, कूलीन ब्राह्मण की श्रेणी में आते हैं| . April 8, 20138 Replies पुस्तगाषा:- भाग ३ भरसी, डाडी, गोरखपुर, उ. प्र.(गौतम गोत्रीय मिश्र-मधुबनी ) कुछ दुर्लभ हस्ताक्षर जिन्होंने गाँव को अपने उत्तम ब्यक्तित्व से संवारा है :- चंद्र बलि यादव को भूल पाना बेमानी होगा, जिन्होंने गाँव की सेवा में अपना जीवन बिता दिया | परमसुख राय को उनके ब्यक्तित्व के लिए याद करना हमारा दायित्व बनता है, होली की रंगत में उनका जबाब नहीं | किशोरी शाहु के ब्यक्तित्वसे शिख लेनी चाहिए, गाँव का बिग बाजार उनके मेहनत का नमूना था तो उनका शान्त स्वाभाव उत्थान का द्योतक | रामकवल हरिजन का हुनर प्रेरणादायी है | रामकृपाल नाई का स्वाभाव ग्रहणीय है | पूजा बाबा की कहानियां उनके खुश मिजाजी को बयाँ करती हैं और सन्देश देती हैं कि खुशी से बढकर कोई संपत्ति नहीं होती | जंगल बाबा के हस्तरेखा ज्ञानऔर सर्वग्राही ब्यवहार से सिख मिलती है | नवनाथ बाबा का ब्यक्तित्व भी प्रेरणा देता है | रमाशंकर उर्फ नंगू चाचा का शारीरिक ब्यक्तित्व और स्वाभिमान हमें स्वाभिमानी बनाता है | त्रियुगी नाथ बाबा की विद्वत्ता और संस्कार ने हमें ब्राहमण होने का गौरव प्रदान किया है जिस पर अनुकरण करना हमरा अपना सौभाग्य होगा | हरिद्वार बाबा की कर्म हुनरता व रहन शैली, जीवन को समृद्ध बनाने की प्रेरणा देता है | मेरे परम पूज्य पिता जी श्री पौहारी शरण जी की दरियादिली और राजसी ठाट-बाट, जीवन को विकसित करने का नया सोपान प्रदान करता है | गंगोत्री चाचा के सरल नेतृत्व से गांव की शांति और कीर्ति को मिली इज्जत से सबक मिलता है | आद्याचरण बाबा की बुद्धि और सादगी ने गाँव को सम्मानित करने का सन्देश दिया है | बाबूराम चाचा के ब्यक्तित्व ने खेल व शिक्षा कों प्रोत्साहन देकर हमारे गाँव के विकास को एक नया दिशा प्रदानकरता है | रामजी बाबा का उस समय में उच्च प्रशासनिकपद यह दर्शाता है कि हमारे गाँव में शिक्षा का मूल्य पैतृक विरासत है | माता बदल बाबा का चीफ इंजिनियर जैसे पद पर आरूढ़ होना, उदयनाथ चाचा का एन.एस.सी. में डिप्युटी डायरेक्टर का पद, विश्वकर्मा भईया का पुलिस में उच्च पद गाँव के क्षमता कों प्रतिबिंबित करता है | दीपनारायण चाचा का उत्तमवाद्य और संगीत हमें सांस्कृतिक प्रेरणा देता है| रामनरेश चाचा व रामलखन चाचा के उच्चपदीय सेवा का सम्मान, डा. ओम प्रकाश भईया का एम.बी.बी.यस बनाना, विजयकांत भईया का जज होना, राजदेव बाबा और चंद्र शेखर भईया का अपने विषय में प्रवीणता , रामसकल बाबा का संस्कृत विद्यालय में प्रिंसिपल के पद को सुशोभित करना, रामसनेही चाचा का लेक्चरार का पद, उमाशंकर भईया का रेलवें में उच्च पद पर आसीन होना, राजेश का कमांडों बनना व शौर्य चक्र से सम्मान प्राप्त करना, तथा देश की सेवा में गाँव के उन तमाम ब्यक्तियों के ब्यक्तित्व का सम्मिलित होकर सहयोग देना निश्चय ही गाँव के उच्च विचार और समृद्ध मानसिकता को दर्शाता है | परमानन्द चाचा का पुलिस प्रशासन में उच्च पद उनके शालीनता का बोध करवाता है | जब कि रामबहादुर भईया का पुलिस में उच्च पद उनके होनहार ब्यक्तित्व का हकीकत बयाँ करता है | जिसमे कहीं न कहीं यह सन्देश मिलता है कि हमारे अभिभावकों की सोच दूरदर्शी थी जिसको उसी अनुपात में आगे बढ़ाने की जबाबदारी हम सभी की है | जिसे हम अपने पूर्वजों की प्रेरणा से आगे बढ़ा भी रहे हैं जिस पर हमें नाज भी है | हमारे गाँव का अतीत बहुत ही नेक रहा है | आज की पीढ़ी में शिक्षा व पद दोनों हमें शकून देकर गदगद कर रहें हैं | अनुजों के साक्षात्कार में, मै यह अनुभव करता हूँ कि आने वाला कल हमारे चहुँमुखी विकास का दर्शन कर रहा होगा | आज का समय अपने ज्ञान-विज्ञान कों आगे बढ़ाने का है न कि किसी में बुराई देखने की | अत: मुझे अपने माँ- बाप व परिवार- गाँव में से जिनसे भी कुछ सिख ले पाने का सौभाग्य मिला है, लाभान्वित हुआ हूँ उसे अपने नजरिये से आंकलन करके आभारी हूँ | गाँवदेश या परिवार का विकास कण-कण में विद्यमान होता है किससे प्रेरणा और किससे निराशा मिलेगी यह अपने नजरिये पर निर्भर करता है | रामसमुझ भईया और रामबदन भईया के परिवार का मै अपने तथा पुरे गाँव के तरफ से आभारी हूँ कि भगवत प्रेरणा से उनके परिवार कों मंदिर निर्माण करवाने का सौभाग्य प्राप्तहुआ है | देखा जाय तो हमारे गाँव के सब लोंग कुशल शिल्पी रहें हैं जिन लोगों में स्कूली शिक्षा नहीं के बराबर रहा उनका विकास, गाँव कों लहुरी दिल्ली का ख़िताब दिलाकर अपने कुशलता का परिचय दे रहा है | गाँव किसी कस्बें से कम कभी भी न रहा, रोजगार देने का दायित्व निभाकर अपने मूल्य कों आज भी सर्वोपरि रखने में कामयाब रहा है | महातम मिश् April 8, 2013Leave a reply पुस्तगाषा:- भाग २ भरसी, डाडी, गोरखपुर, उ. प्र.(गौतम गोत्रीय मिश्र-मधुबनी ) मल कंठ बाबा के दुसरे पुत्र जुड़ावन बाबा का परिवार (B) जुड़ावन बाबा के तीन पुत्र- भगन बाबा व लेखई बाबा, जित्यन बाबा लेखई बाबा के बारे में जानकारी अज्ञात (!) भगन बाबा से सीफल बाबा, सूदीन बाबा सुदिन बाबा की जानकारी अज्ञात जिसमे सीफल बाबा से हरिहर बाबा, देवदत्त बाबा, रामदत्तबाबा (१) हरिहर बाबा से रघुनन्द बाबा, सूर्यबली बाबा जिसमे सूर्यबलीबाबा की जानकारी अज्ञात तथा रघुनंद बाबा से सत्य नारायण बाबा, भगवान बाबा उर्फ़ वकील बाबा सत्यनारायण बाबा से कोई नहीं तथा भगवान उर्फ़ वकील बाबा से रामसमुझ बाबा, राममोहित मिश्र, रामप्रीत उर्फ़ बच्चा मिश्र,रामहजूर बाबा , रामकृपाल मिश्रजिसमे रामसमुझ बाबा से विरेन्द्र मिश्र, धीरेन्द्र मिश्र, और जीतेन्द्र मिश्रतथा राममोहित मिश्र से उपेन्द्र मिश्र व बच्चा मिश्र से सुशील और सुनील तथा रामहजूर बाबा से अनिल व किन्नू तथा राम कृपाल मिश्र से दो लडके हैं | (२) देवदत्त बाबा से चंद्रबली बाबा और राजबली बाबा जिसमे चन्द्रबली बाबा से बिंद्राबन बाबा तथा तुमनाथ बाबा जिसमे तुमनाथ बाबा से कोई नहीं तथा बिंद्रावन बाबा से रामबदन मिश्र और रामउजागिर मिश्र जिसमे रामबदन मिश्र से राकेश व शैलेश जिसमे राकेश से रिषभ व शैलेश से विवेक तथा राम उजागिर मिश्र से रामू मिश्र तथा राजबली बाबा से चौथी बाबा और नार्वदेव बाबा, चौथी बाबा से कोई नहीं जिसमे नार्वदेव बाबा से त्रम्बक मिश्र जिनसे विष्णु मिश्र , अभय मिश्र तथा (३) रामदत्त बाबा से महाबली बाबा, रामकोमल बाबा जिसमे महाबली बाबा से सीता राम बाबा, बाबुराम बाबा जिसमे सीताराम बाबा से रामबहादुर मिश्र, रामपदारथ मिश्र जिसमे रामबहादुर मिश्र से हौशिला उर्फ मुन्ना मिश्र और छुन्ना मिश्र तथा रामपदारथ मिश्र से अखिलेश मिश्र तथा बाबुराम बाबा से योगेन्द्र मिश्र, रामसजीवन मिश्र,और ब्रजभूषण उर्फ गुड्डू मिश्र जिसमे योगेन्द्र मिश्र से भालचंद्र, विनीत, नवनीत, और अनिल जिसमे भालचंद्र से कन्हैया तथा रामसजीवन मिश्र से अभिषेक और ललित कुमार तथा ब्रज भूषण उर्फ गुड्डू से अवनीश | रामकोमल बाबा से पटेश्वर बाबा, जलेश्वर मिश्र, रामदौर मिश्र, प्रेमनारायण मिश्रपटेश्वर बाबा से प्रदीप मिश्र जिनसे प्रांजल तथा जलेश्वर मिश्र से प्रभाकर मिश्र, प्रमोद मिश्र, विनोद मिश्र जिसमे प्रभाकर से तीन पुत्रिय हैं, प्रमोद से संजय और विनोद से हेमंत तथा रामदौर मिश्र से गुड्डू मिश्र तथा प्रेमनारायण मिश्र से राजेश बाबा जिसमे राजेश बाबा से अक्षत और (!!) जित्तन बाबा से भैरो बाबा, हरिनाम बाबा चित्रकूट बाबा भैरो बाबा और चित्रकूट बाबा से कोई नहीं जिसमे हरिनाम बाबा से कुबेर बाबा, द्वारिका बाबा, रामकिशुन बाबा कुबेर बाबा और द्वारिका बाबा से कोई नहीं तथा रामकिशुन बाबा से रामबृक्ष मिश्र, रामसकल मिश्र जिसमे रामबृक्ष मिश्र से सुधाकर मिश्र, भास्कर मिश्र, रत्नाकर उर्फ़ गोपाल मिश्र जिसमे सुधाकर मिश्र से शिरोमणी उर्फ बब्लू और बिमल मिश्र व रत्नाकर उर्फ़ गोपाल मिश्र से हर्ष और आयुष्य तथा रामसकल मिश्र से हरीश मिश्र, मनीष मिश्र | —————————————————————————————————– (१) बृजलाल बाबा से शिरदिहल बाबा जिसमे शिरदिहल बाबा से अयोध्या बाबा और रमाकांत बाबा, अयोद्धयाबाबा से कोई नहीं” तथा रमाकांत बाबा से मार्कंडेय मिश्र, महेंद्र मिश्र, रामधनी मिश्र, रामबचन मिश्र जिसमे मार्कंडेय मिश्र से जगबहादुर उर्फ राणा मिश्रव महेंद्र मिश्र से सुकेश मिश्र,अवधेश मिश्र, रमेश मिश्र जिसमे सुकेश जी से अभिषेक व आदित्य तथा अवधेश जी से अनुराग व अमन तथा रामधनी मिश्र से लक्ष्मीशंकर उर्फ सोनू मिश्र तथा रामबचन मिश्र से राज नारायण मिश्र, तेजनारायण मिश्र| (२) गोपाल बाबा से नागू बाबा, रामेश्वर बाबा जिसमे नागु बाबा से प्रयागदत्तबाबा (!) प्रयागदत्त बाबा से जीउत बाबा ( जीउत बाबा से कोई नहीं ) (!!) रामेश्वर बाबा से त्रिभुवन बाबा, सरयू बाबा, रामअवतार बाबा, रामप्रताप बाबा, रामप्रताप बाबा से कोई नहीं तथा त्रिभुवन बाबा से रामप्यारे बाबा, रामदुलारे बाबा, रामदुलारे बाबा नावल्द रामप्यारे बाबा से बद्रीनाथबाबा जिसमे बद्रीनाथ बाबा से रामानुज मिश्र जिनसे रामानुज मिश्र से राकेश मिश्र, राजेश मिश्र, सरयू बाबा से शुभकरन बाबा, जयकरण बाबा, जयमंगल बाबा, जिसमे शुभकरन बाबा से रामदेव बाबा, रामदेव बाबा से कोई नहीं जयकरन बाबा से बृजदेव बाबा ( बारानगर बस गए ) तथा जयमंगल बाबा से बृजदेव बाबा रामअवतार बाबा से हरिमंगल बाबा, ब्रम्हदेव बाबा जिसमे हरिमंगल बाबा से विश्वकर्मा बाबा जिसमे विश्वकर्मा बाबा से धर्मराज मिश्र, सत्येन्द्र मिश्र, जीतेन्द्र मिश्र, चन्दन मिश्र ब्रम्हदेव बाबा से गंगा बाबा, शिवशंकर मिश्र, रामरक्षा मिश्र, रामलला मिश्रजिसमे गंगा बाबा से श्याम मिश्र कृष्ण मुरारी मिश्र, छबिलाल मिश्र (C) मलकंठ बाबा के तीसरे पुत्र भूपति बाबा सोंपरां में जाकर बस गए बाद की जानकारी अज्ञात (D) मलकंठ बाबा के चौथे पुत्र लालमनी बाबा से संबोधन बाबा, मोती बाबा, संबोधन बाबा से कोई नहीं मोती बाबा से प्राणपति बाबा जिसमे प्राणपति बाबा से रतन बाबा, किरतारथ बाबा रतन बाबा से कोई नहीं तथा किरतारथ बाबा से रामउग्रह बाबा, राममनी बाबा रामउग्रह बाबा से भरत बाबा, भरत बाबा से कोई नहीं राममनी बाबा से श्रीभागवत बाबा, राजबहादुर बाबा, दशरथ बाबा (१) श्रीभागवत बाबा से रामअधार बाबा, जयजयराम बाबा, राजाराम बाबा, रामप्रसन्न बाबा, रामसमुझ मिश्र, राधेश्याम बाबा जिसमे रामअधार बाबा से रामाश्रय मिश्र, हरिश्चंद्र मिश्र, प्रह्लाद मिश्र, अभयनाथ मिश्र, शेषनाथ मिश्र जयजयराम बाबा की पुत्री शांति देवी पत्नी गोरख बाबा शुक्ल जी को नेवासा मिला जिसपर वह काबिज हैं | राजाराम बाबा से सोमनाथ मिश्र जिसमे सोमनाथ मिश्र से विजयनारायण मिश्र, अजय्नारायण मिश्र रामप्रसंन बाबा की दो पुत्री ललिता व सिन्धु को नेवासा मिला जिस पर वे काबिज हैं तथा रामसमुझ मिश्र से धर्मराज मिश्र, राजकुमार मिश्र व राधेश्याम बाबा से कोई नहीं, (२) राजबहादुर बाबा के बारे में जानकारी अज्ञात (३) दशरथ बाबा से त्रियुगीनारायण बाबा जिसमे त्रियुगीनारायण बाबा से रामसकल मिश्र, पारसनाथ मिश्र जिसमे रामसकल मिश्र से विजयकृष्ण मिश्र व विजयालक्ष्मी ( पुत्री ) तथा पारसनाथ मिश्रसे बालकृष्ण मिश्र, रामकृष्ण मिश्र व राजलक्ष्मी पुत्री | उक्त नामावली लोगों द्वारा बताये हुए साक्ष्य पर आधारित है जिसमे कही न कही तारतम्यता का आभाव दिख रहा है इसे पूरा कर पाना बिना आप लोगों के मदत से संभव नहीं लगता, अत: गुजारिश है कि अपने-अपने परिवार का पूर्ण नाम जन्म ता. व स्वर्गवास ता. के साथ मुहैया कराने की कृपा कर खुद को कृतार्थ करें | विवाहित \अविवाहित पुत्रियों का नाम जन्म ता. व उनके पति के नाम के साथ उनके ससुराल के गाँव का नाम भी साथ में दे सकें तो आप का विशिष्ट योगदान होगा | मेरीं प्यारी माँ स्वर्गिया बदामी देवी की याद में सादर समर्पित….. ग्राम सभा- भरसी बुजुर्ग, गोला बाजार, गोरखपुर – उ. प्र.| दिनांक- पहली नवम्बर सन- दो हजार ग्यारह | उपर्युक्त लेख केवल आठ आना के विवरण को दर्शाता है | जब कि भरसी गाँव में और भी मिश्र परिवार है जिनका जिक्र इस प्रकार से है | जो क्रमश:अ, ब, स और द से दर्शाया गया है | बाकी भाइयों का यथा संभव समावेश किया गया है | अ (१) रामबली बाबा, राघो बाबा, कमला बाबा और रामसूरत बाबा का परिवार ( अधियार ) रामबली बाबा से बद्री नारायण बाबा और गंगोत्री बाबा, बद्रीनारायण बाबा से सत्यावता और बिदवता दो पुत्री, गंगोत्री बाबा से राजदेव बाबा और उमाशंकर मिश्र जिसमे राजदेव बाबा से सुकेश मिश्र,राकेश उर्फ टुनटुन मिश्र, और ब्रिजेश मिश्र जिसमे सुकेश से अनीश और अतुल तथा उमाशंकर मिश्र से अवधेश मिश्र, अनिल मिश्र और सुनील मिश्र जिसमे अवधेश से अंकुर | राघो बाबा से कोई नहीं तथा कमला बाबा से दीपनारायण बाबा और श्यामनारायण बाबा दोनों सगे भाई है | दीपनारायण बाबा से दो पुत्री, श्यामनारायण बाबा से पुनीत बाबा और पुनीत बाबा से आज कोई नहीं है | रामसूरत बाबा से ठाकुर बाबा और रामकृपाल बाबा, ठाकुर बाबा से ओमप्रकाश मिश्र और जयप्रकाश मिश्र, रामकृपाल बाबा से एक पुत्र पर अब कोई नहीं है | (२) रामनाथ बाबा, त्रिलोक बाबा, इन्नर बाबा जिसमे रामनाथ बाबा से कोई नहीं, त्रिलोक बाब से आद्याचरण बाबा, श्रीसेवक बाबा जिसमे आद्याचरण बाबा से रामसिंगार मिश्र इनसे संजय मिश्र और संजय से मयंक और अक्षत,तथा श्रीसेवक बाबा से शुभानारायण बाबा जिनसे मनीष मिश्र, इन्नर बाबा से रिखराज बाबा इनसे रामसनेही मिश्र और रामनेवास मिश्र, रामसनेही मिश्र जिनसे नित्यानंद उर्फ जज मिश्र, अजय उर्फ लाल मिश्र और विनोद मिश्र जिसमे नित्यानंद से अजय तथा रामनेवास मिश्र से भकोल और मनोज मिश्र | (३) ज्वाला बाबा से अम्बिका मिश्र और त्रिवेणी बाबा, अम्बिका मिश्र से केशव बाबा, उमेश मिश्र तथा गिरीश मिश्र, त्रिवेणी बाबा से गिरिजाशंकर मिश्र तथा विजनारायण मिश्र | अयोध्या बाबा और अनरुद्ध मिश्र जिसमे अयोध्या बाबा से कोई नहीं, अनरुद्ध मिश्र से योगेन्द्र मिश्र| (४) चांनी बाबा से रामबशिष्ठ उर्फ सीताराम बाबा जिनसे दीनानाथ मिश्र और विरेन्द्र मिश्र, दीनानाथ मिश्र से दीपक और सूरज तथा विरेन्द्र मिश्र से अजय और …… (५) रामअनंत बाबा से तारापति बाबा और लल्लन बाबा जिसमे तारापति बाबा से रमाशंकर उर्फ नटवु बाबा जिनसे पुत्रियां ही हैं तथा लल्लन बाबा से कोई नहीं | ब (१) राम हरख बाबा से माताबदल बाबा और श्रीपत बाबा (अ) माताबदल बाबा से रामजी बाबा, गंगासागर बाबा, और रामसागर बाबा जिसमे रामजी बाबा से रामलला मिश्र, ओमप्रकाश मिश्र, जयप्रकाश मिश्र जिसमे रामलला जी से अनिल और सुनील तथा गंगासागर बाबा से राम सिंगासन मिश्र तथा उदयभान मिश्र जिसमे रामसिंगासन जी से सरदेंदु, राघवेंद्र,रामेश्वर जिसमे सरदेंदु से शिवांग और उदयभान जी से अनुराग, प्रवीन, परमेश्वर जिसमे अनुराग से विक्की तथा रामसागर बाबा से दयाशंकर मिश्र, कृपाशंकर बाबा, जयशंकर उर्फ मुन्ना मिश्र, जिसमे दयाशंकर जी से कृष्ण कुमार, बबलू, डब्लू, कृपाशंकर बाबा से कोई नहीं, जयशंकर जी से चिंटू | (ब) श्रीपत बाबा से श्री नारायण बाबा, जगत नारायण बाबा और हरहंगी बाबा जिसमे श्री नारायण बाबा से गोरखनाथ बाबा और राम सजीला बाबा जिसमे गोरख बाबा से हरिश्चंद्र मिश्र और जयचंद मिश्र जिसमे हरिश्चंद से जीतेन्द्र और राजन तथा जयचंद से विकाश तथा रामसजीला बाबा से सुदामा मिश्र और जगत बाबा से कालीप्रसाद मिश्र, त्रिबेनी बाबा और नारद मिश्र जिसमे काली जी से आलोक, पवन, संतोष तथा हरहंगी बाबा से कोई नहीं | (३) रामस्वारथ बाबा से गंगोत्री बाबा, विश्वनाथ बाबा और किशोर बाबा जिसमे गंगोत्री बाबा से रामदरश मिश्र, ओमप्रकाश मिश्र तथा जयप्रकाश मिश्र जिसमे रामदरश जी से लक्षमन, बलराम, भीम तथा ओमप्रकाश जी से अवनीश, अजय तथा जयप्रकाश जी से तीन पुत्री उर्मिला, प्रमिला, रीता | विश्वनाथ बाबा से विजयी मिश्र से शुभम तथा किशोर बाबा से काशी मिश्र | बैजनाथ बाबा से शिवपूजन मिश्र, रामदेव बाबा और रामबुझारथ बाबा जिसमे शिवपूजन जी से दीपक, मक्खन तथा रामदेव बाबा से बिट्टू, गोल्डन और चन्दन | (४) रामबली बाबा से देवीप्रसाद मिश्र और सर्वजीत बाबा जिसमे देवीप्रसाद मिश्र से संगम तथा बिरजानंदन बाबा से दुर्गा मिश्र जिससे ओंकार मिश्र, नन्हें मिश्र, रविन्द्र मिश्र और राकेश मिश्र | (५) रामसुभग बाबा और रामराज बाबा दो भाई जिसमे रामसुभग बाबा से रामसिंगार बाबा और राममूरत बाबा जिसमे राम सिंगार बाबा से कोई नहीं और राम मूरत बाबा से चंद्रशेखर मिश्र और सुरेन्द्र मिश्र तथा रामराज बाबा से कोई नहीं | (६) रामअनंत बाबा से गंगा उर्फ फुलमान बाबा और रामदौर बाबा जिसमे फुलमान बाबा से रामचंद्र बाबा जिनसे पुजारीप्रकाश मिश्र, ब्रम्हचारी प्रकाश मिश्र और सत्यप्रकाश उर्फ अचारी मिश्र जिसमे पुजारी जी से राजू व मैनेजर, ब्रम्हचारीजी से पनढेरी तथा अचारी जी से दो पुत्र | स (१) लक्ष्मी बाबा से भागीरथी बाबा और देवीदत्त बाबा जिसमे भागीरथी बाबा से शिवशंकर बाबा, रमाशंकर बाबा और श्यामा बाबा तीन भाई जिसमे शिवशंकर बाबा से राजेंद्र मिश्र, योगेन्द्र मिश्र, सुरेन्द्र मिश्र और राजेश्वर मिश्र जिसमे राजेंद्र मिश्र से अजय, पिंटू, अखिलेश और राहुल जिसमे अजय से गौरव तथा योगेन्द्र जी से गणेश उर्फ बबलू, नरेश, महेश जिसमे गणेश से आदित्य, नरेश से पवन और महेश से ओमप्रकाश तथा सुरेन्द्र मिश्र से सोनू, मोनू और झुनझुन व राजेश्वर जी से सूरज तथा रमाशंकर बाबा से जगतनारायण मिश्र जिनसे रामायन और हरिओम तथा श्यामा बाबा से मार्कंडेय बाबा जिनसे अमित और आदित्य तथा देवीदत्त बाबा से कोई नहीं | (२) रामप्यारे बाबा से माताबदल बाबा, ब्यासमुनि मिश्र, हृकेश मिश्र और प्रभाकर उर्फ छोटेलाल मिश्र जिसमे माताबदल बाबा से रविन्द्र मिश्र और विरेन्द्र मिश्र तथा ब्यासमुनि मिश्र से पिक्कू व विक्कू तथा हृकेश मिश्र से अशोक मिश्र तथा प्रभाकरजी से भी दो लडके | (३) श्री भागवत बाबा और देवीदत्त बाबा दो भाई जिसमे श्री भागवत बाबा से , रामकवल बाबा, रामनवल मिश्र और रामसकल बाबा जिसमे रामकवल बाबा से कन्हैया, विनोद, और संजय उर्फ डान तथा रामनवल मिश्र से भगवती बाबा और ….. तथा रामसकल बाबा से पवन मिश्र तथा देवीदत्त बाबा से राम प्रसन्न बाबा जिनसे…..| जंगल बाबा से कोई नहीं तथा तुलसी बाबा से संत प्रसाद मिश्र, लालजी मिश्र और अशोक मिश्र | द देवीदीन बाबा से विशेश्वर बाबा और भवानी भीख बाबा (१) विशेश्वर बाबा से कोदई बाबा और बलदेव बाबा कोदई बाबा से बलराम बाबा , सरयू बाबा और रामसुचित बाबा जिसमे बलराम बाबा से बनवारी बाबा जिनसे चन्द्रशेखर बाबा जिनसे चन्दन और श्रीराम| सरयू बाबा से रामलखन बाबा, मन्नन बाबा और रामदास बाबा जिसमे रामलखन बाबा से शम्भू मिश्र जिनसे सतीस, हरीश और मनीष तथा मन्नन बाबा से कोई नहीं और रामदास बाबा से जयनाथ बाबा और राजेश मिश्र, जिसमे जयनाथ बाबा से कोई नहीं, राजेश मिश्र से शौरभ, गौरव और नीरज तथा रामसुचित बाबा से हीरानंद मिश्र, रामकरण बाबा और बुद्धिसागर मिश्र जिसमे हीरानंदा मिश्र से योगेन्द्र बाबा और दीपक मिश्र जिसमे योगेन्द्र बाबा से धीरज तथा दीपक मिश्र से शिवम, सुन्दरम और सत्यम तथा रामकरण बाबा से रंजित और बुद्धिसागरमिश्र से कोई नहीं | बलदेव बाबा से भागीरथी बाबा जिनसे कोई नहीं | (२) भवानी भीख बाबा से रमई बाबा, नेपाल बाबा और छेदी बाबा जिसमे रमई बाबा और नेपाल बाबा से कोई नहीं और छेदी बाबा से गोमती बाबा जिनसे श्रीकृष्ण मिश्र, शिवकांत मिश्र और विनय मिश्र जिसमे श्रीकृष्ण मिश्र से संदीप और रितेश तथा शिवकांत मिश्र से गोलू | (२) बनवारी बाबा से चंद्रशेखर बाबा और (३) मन्नन बाबा सरयू बाबा ………राजेश मिश्र, हीरा मिश्र, सतीश मिश्र दुबे परिवार :- जय नारायण बाबा और रूप नारायण बाबा दो भाई जिसमे जय नारायण बाबा से रामधनी दुबे और तथा रूपनारायण बाबा से ओमप्रकाश दुबे और सत्यप्रकाश दुबे | पाण्डेय परिवार :- (१) हरी बाबा से गोरखनाथ बाबा और लालजी बाबा जिसमे गोरखनाथ बाबा से रामकरण पाण्डेय, बेचई बाबा और ऊधो पाण्डेय (२) विन्ध्याचल पाण्डेय बाबा से अवधनरेश बाबा , हरिद्वार बाबा और सीताराम बाबा तीन भाई जिसमे अवध नरेश बाबा से तुमनाथ बाबा जिनसे ओमप्रकाश पाण्डेय, विजयी पाण्डेय, केदार बाबा तथा गुंगें पाण्डेय तथा हरिद्वार बाबा से मार्कंडेय पाण्डेय, रामलला पाण्डेय और जयप्रकश पाण्डेय जिसमे मार्कंडेय पाण्डेय से संगम और रितेश व रामलला बाबा से संतोष व जयप्रकाश पाण्डेय से……तथा सीता राम बाबा से आनंद पाण्डेय (२) राम जी उर्फ लंगड़ बाबा और जिउत बाबा जिसमे मे लंगड़ बाबा से कोई नहीं जिउत बाबा से राजकुमार बाबा अविवाहित पर इनकी बहन राधा ने सबकुछ सम्हाल लिया है | (४) देवनारायण बाबा से दीनानाथ पाण्डेय जिनसे चंद्रमौली, और मोहन | (५) अयोध्या बाबा और ब्रम्हाबाबा दो भाई जिसमे अयोध्या बाबा की पुत्री दुर्गावता फुआ से कपिलमुनि शुक्ल जिनसे पुनीत शुक्ल तथा ब्रम्हाबाबा से गणेश और (६) रामनारायण बाबा से बद्री नाथ बाबा और तुलसी बाबा दो भाई जिसमे बद्री बाबा से सुरेश पाण्डेय, सुरेश पाण्डेय से मनोज पाण्डेय व अंजनी पाण्डेय जिसमे मनोज से जीवराज व अंजनी से आयुष्यमान तथा तुलसी बाबा से रमेश पाण्डेय, राधेश्याम और राजकिशोर पाण्डेय जिसमे रमेश से विवेक व राधेश्याम से डिम्पल और सागर जो अब ग्राम- कुकुरहाँ के वासी है | ग्वाल बंश यादव परिवार :- (१) बनवारी यादव और जगमोहन यादव दो भाई जिसमे बनवारी से रामदास, रामदास यादव से नर्वदेश्वर यादव जिनसे बलवंत, यशवंत, हनुमंत, भगवंत, और शिवाकांत तथा जगमोहन से तपेश्वर, रामलक्षण और गामा यादव, तपेश्वर से रामअवध यादव, रामायन यादव, रामलक्षन से खोखा और नन्हू तथा गामा यादव से रामज्ञा और कपिल | भगेलू यादव और रामरती दो भाई जिसमे भगेलू यादव से रामप्रवेश और रमेश तथा रामरती से अब पुत्रियां है | (३) रामकिशुन यादव से उदित यादव, रामप्रीत, स्वामिनाथ और कतवारू जिसमे उदित से रामजनम और उदयभान, रामप्रीत से हरिलाल, लालचंद, हिरिकेश और ऋषिकेश, स्वामिनाथ से जगन और, कतवारू से रामा और सुदामा | (३) तीरथ यादव से नन्दलाल, रामलाल, और बृजलाल यादव जिसमे नन्दलाल से रामजी यादव, रामलाल से …… तथा बृजलाल से (४) रामदेव यादव व रामदवड यादव अविवाहित जिसमे रामदेव से ……… (५) हरिबंस यादव से रामानंद यादव (६) रामपूजन, रामभजन, रामबदन और रामदरश चार भाई जिसमे रामपूजन यादव से ……रामभजन यादव से कोलंबस यादव, रामबदन यादव से …… तथा रामदरश यादव से जगदीश यादव (७) तूफानी और भरत दो भाई जिसमे तूफानी से …… भरत से …….. (८) बिदेशी से कोई नहीं (९) नन्दलाल यादव से गुलाब और गुड्डू यादव (१०) दिलाई यादव से (११) चंद्रबली यादव , छोटक और मोती तीन भाई जिसमे केवल मोती से लालचंद यादव व लालचंद से …… (१२) बंशी यादव से मान यादव व …… बढ़ई परिवार :- (१) खखनु बढ़ई से रामधियान जिनसे कमलेश व अखिलेश (२) रामरती बढ़ई , रामप्रीत बढ़ई , रामनेवास तीन भाई जिसमे रामरती से बोधई , मुन्ना व दीपक, रामप्रीत से सुरेश, केशाभन, राकेश, सुनील, सुधीर, मनोज, कपूर तथा रामनेवास से शेषनाथ और राजनाथ (३) बीरबल बढ़ई दो भाई जिसमे बीरबल से बेचन बढ़ई जिनसे अरविंद, परविंद, सरविन्द, रविन्द्र उर्फ बिजम्मर, राममिलन और राजू जिसमे अरविन्द से आशीष व अक्षय व सरविन्द से शाहिल व रविन्द्र से राहुल और रिशु व राममिलन से शिवम तथा दूसरे भाई से लोलई बढ़ई जिनसे विजेंदर | (४) कालीचरण बढ़ई और झकरी दो भाई दोनों से कोई नहीं | (५) जगलाल बढ़ई और लालधारी बढ़ई दो भाई जिसमे जगलाल से गब्बू और संतोष और गोपाल तथा लालधारी से ……| (६) जत्तन मिश्त्री का परिवार और भुलोट का परिवार तथा गत्ती मिश्त्री का अब कोई नहीं है | नाई परिवार :- रामकृपाल नाई से जोखन नाई जिनसे ब्रिजेश, रूपेश और…… धोबी परिवार :- गुदरी धोबी अमोला और सहदेव तीन भाई जिसमे गुदरी से रामपलट, रामधारी और सुरेन्द्र, अमोला धोबी से बेचई और मूलचंद तथा सहदेव धोबी से लालचंद | कहाँर परिवार :- (१) तीरथ कहाँर से बुझारथ जिनसे घरघुमनी पुत्री फिर कोई नहीं (२) चंद्रभान कहाँर से रामदास उर्फ सोखा और बकई (३) दुबछोल कहाँर से कोई नहीं (४) बुधई कहाँर से घुरपतरी जिनसे (५) शंकर उर्फ भोले कहाँर से रामदरश उर्फ तूफानी और लालचंद (६) सुखराम कहाँर और रघुवीर दो भाई जिसमे सुखराम से कोई नहीं तथा रघुवीर से रामनरेश, रामचंद्र और रामलखन | (७) मँगरू कहाँर से बरसातु कहाँर और देवता दो भाई जिसमे बरसातु से राजेंद्र, छोटक, भूँवर, और जीतेन्द्र तथा देवता से फूलचंद फिर कोई नहीं | कोहाँर परिवार :- (१) सूर्यनाथ कोहाँर के तीन पुत्र पांचू, कतवारू और चौवधुरी जिसमे पांचू से श्रीराम और शीतला जिसमे श्रीराम से मकसूदन और शीतला से विष्णु और कृष्णदेव तथा कतवारू से शिवदास, प्रकाश,लालमन और नारद जिसमे शिवदास से सनातन, परमेश्वर, रत्नेश्वर और चंद्रकांत तथा प्रकाश से सुदामा और करुनाकर तथा लालमन से चंद्रकांतऔर रामनंद तथा नारद से सुनील, पुनीत, राहुल और देवेन्द्र तथा चौवुधुरी से रामपलट | (३) रुदल कोहाँर से झमकू, झिनकू और भलेरू जिसमें झमकू से कोई नहीं, झिनकू से अशोक कुमार और सिंगासन तथा भलेरू से कैलाश | (४) अलगू कोहाँर से बुद्धिराम, मिश्री और सामराज जिसमे बुद्धिराम से प्रताप,नारायन, राधे और रामसजन तथा मिश्रीसे राजेश, आन्ही और शैलेश तथा सामराज से संतोष तथा प्रताप से घरपकडू और सतेन्द्र| बनिया परिवार :- किशोरी शाहु के बबुन्नर, शिवशंकर और रमाशंकर …… तेली परिवार :- रघुबीर और कतवारू दो भाई जिसमे रघुबीर से नगीना और … तथा कतवारू से गणेश और …….| मुश्लिम परिवार :- (१) परमसुख राय और छेदी राय दो भाई जिसमे परमसुख से ज्ञान और हदीस, ज्ञान से शान मुहम्मद और हदीश से …..तथा छेदी राय से अलीहसन और भेखा राय, अलीहसन से इदरीस और ….. तथा भेखा राय से……. (२) अब्दुल से लडकियां ही हैं | (३) ईदन और रज्जाक जिसमे ईडन से कतली और रज्जाक से …….. | गाँव के हर वर्ग को समाहित करने का मेरा अपना लक्ष्य है जिसमे सबका सहायक होना हमारे उत्साह को दिशा देगा | एक कोशिस की गयी है, जैसे-जैसे जानकारी मिलेगी इसमे सुधार होता जायेगा | धन्यवाद……… April 8, 2013Leave a reply पुस्तगाषा:- भरसी, डाडी, गोरखपुर, उ. प्र.(गौतम गोत्रीय मिश्र-मधुबनी ) पुस्तगाषा:- भरसी, डाडी, गोरखपुर, उ. प्र.(गौतम गोत्रीय मिश्र-मधुबनी ) ॐ दुलम बाबायै नम: ॐ सर्वेभि देविभ्यो नम:, ॐ सर्वेभि देवताभ्यो नम: “शक्सियत शिरकत और शिनाख्त “ मेरी अपनी कलम से…… पुरुष और प्रकृत्ति से सारा संसार अपने अस्तित्व पर सदैव से कायम है | जिसमे हम और हमारा कुल श्रृंखला की कड़ी बनकर किसी न किसी रूप में आज भी मौजूद है | आदि काल से सबकी अपनी एक अलग पहचान है जो उसके कुल-खानदान कों एक अहम शिनाख्त देता है | वैदिक सूत्र, सभ्यता या उत्खनन द्वारा हम किसी न किसी ऋषि के वंशज है जिसकी पहचान गोत्र के माध्यम से आज भी हों जाती है | लेकिन बहुत पुराने कड़ी का पता नहीं चल पाता और हम हमारे पूर्वजों तक पहुचने में असमर्थ हों जाते हैं | हमारा उदय स्थान जिन ऋषियों से है वह गोत्र से तो पूरित हो जाता है पर उसके बाद एक लंबा सा अंतराल दिखाई देता है | आज हम दो-चार पीढ़ी से ज्यादे के पूर्वजों के नाम और गुण से वाकिफ नहीं हो पा रहें हैं मतलब हमारें इतिहास में हम शदियों से कहाँ है इसका कोई पूर्वप्रमाण नहीं मिलता है | इसी कों बिधिवत जानने के लिए इतिहास के पन्नों में अपनी पहचान जरूरी है ताकि भविष्य में आने वाली पीढ़ियों कों अपने भूतकाल की जानकारी मिल सके | इतिहास ही वह आइना है जिसमे हम अपनी पुरानी तस्वीर देख सकते है | वंश परम्परा के संस्कार से अपने आराध्य की आराधना तो करते हैं लेकिन अपने पूर्वजों के रूप-गुण व नाम के आभाव में उनकी तस्वीर अपने मन में नहीं बना पाते हैं ना ही उनकी कृतियों का गुणगान ही कर पातें हैं और ना तो उनके नाम-यश से गर्वान्वित हों पातें हैं | हम आर्य वंशज है हम गौतम गोत्रीय मिश्र है लेकिन हम कहाँ थे आज कहाँ हैं इस साक्ष्य का आभाव है | इसका दारोमदार हम पर ही था पर निभ नहीं पाया जो उन परिस्थितियों में संभव न रहा होगा, लेकिन आज तो अनुकूल है | मेरे अपनें प्रिय घर का अस्तित्व गाँव में किसी दूसरे घर जाकर पता चलता है, तो मेरे गाँव का किसी दूसरे गाँव में जाने पर | इसी तरह जिला से प्रदेश और प्रदेश से देश-विदेश में अपनी पहचान का दायरा ब्यापक हो जाता है और पूरा जगत अपना ही लगने लगता है | लेकिन अपनी मूल पहचान तो कहीं और होती है जिसे हम बहुत दूर छोड़ आये होते हैं | अंतत: हमारी जन्म-भूमि ही हमारी पहचान बनती है और हमारे जीवन का आधार भी, अत: अपने पूर्वजों की पीढ़ी दर पीढ़ी की पहचान हमें होनी चाहिए | अगर दूसरे किसी ग्रह पर मानव जैसी प्रजाति का वास हों और हमारी उससे मुलाकात हों तो पृथ्वी पर का पूरा मानव, उसके वजूद पर प्रश्न करेगा | कुछ ऐसा ही मंथन आज हर समाज में हों रहा है हर एक वजूद पर उंगलियां उठ रही है लेकिन सशक्त जबाब किसी के पास नहीं है और लोंग अपने इस वजूद पर शर्म से लाल हों रहें हैं | हर किसी कों शकून का आभास उसको अपने उसी घर में आकार होता है जहां उसने जन्म लिया है और जिससें उसका जन्म हुआ है | हमारा कुल हमारे पूर्वज और हमारे अपने ही हमको किसी भी दशा में एकात्म्सात करते है जिनको स्मरण करना जिनसे जुड़े रहना ही हमारे लिए ईश्वरीय पूजा है | कुल के ही कुछ बड़ों की जिज्ञासा से प्रेरित मेरा मन इस काम कों करने के लिए आप सभी के सहकार और आशीर्वादकी कमाना करता है | उम्मीद करता हूँ कि यह प्रयास इतिहास के पन्नों में एक छोटी सी कड़ी बनने में अपना फर्ज अदा करेगा | “हम” से ताल्लुक रखने वाले दो शब्द मेरा और हमारा, हरेक के जीवन में बहुत महत्त्वरखता है | जिसमे “मेरा” स्व का बोध करता है तो “हमारा” सर्व कों दर्शाता है पर “मै” शब्द अपूर्णता का आभास दिलाता है, अत: अपने ठहराव के लिए, मै से हमारा के लिए अपने कुल की ब्यापकता का ज्ञान अति आवश्यक है | मै क्या, कहाँ, क्यों और किससे हूँ, इसका पंजीकरण आने वाले कल की जरुरत है | “हमारा” शब्द सबको साथ लेकर ब्यापक दृष्टिकोण भी अपनाता है | दुनिया का ताल्लुक हमसे है तो हमारा भी दुनिया से है जिसमे बसुधैव कुटुम्बकम भारत के संस्कृत और संस्कार का उत्तम उदाहरण पूरा करता है | भारतीय विचारधारा दुनिया में मानवता का सर्वोपरि साक्ष्य है | हमें भारतीय होने पर जितना गर्व है उतना ही गर्व हमारे लिए हमारी जन्म भूमि का भी है | अत: मेरे गाँव के पुस्तगाषा की शुरुआत करने में सभी के आशीष की कमाना करते हुए आश्वस्त करता हूँ कि उपलब्ध जुबानी साक्ष्यकिसी दस्तावेज से कम नहीं है, इसको यथासंभव सत्यता तक ले जाना ही हमारा उद्देश्य रहा है | साभार धन्यवाद महातम मिश्र पुत्र श्रीमति बादामी मिश्रा व श्री रामसबद मिश्र पुस्तगाषा का स्वरुप शदियों से शिक्षा हमारें ब्राह्मण बहुल गाँव में विद्यमान रही है| लेकिन किसी ने भी अपनें गाँव के बारे में किसी प्रकार का बृत्तांत कलम- कागज पर लानें का प्रयास शायद किया ही नहीं | इसकी जरूरत महसूस करनें की आवश्यकता प्रचलन में नहीं रही होगी | लेकिन कुल की पहचान अपनें वारसदार को देना परम आवश्यक विषय होता है | कुछ बड़ों की प्रेरणा से प्रेरित मेरा मन इस पर प्रयास करने का साहस पूर्वजों के आशीर्वाद तथा आप के सहयोग से संभव कर पा रहा है| सर्व विदित है कि आर्य संस्कृति विश्व की पुरातन संस्कृति रहीं है | हम आर्याब्रत के वासी, आर्य बंशज होने का गौंरव पा कर परमपिता परमेश्वर के परम आभारी हो इस धरा पर गौरवान्वित हैं| प्रत्येक देश, गाँव तथा कुल का अपना एक वजूद होता है जो उसकी एक सशक्त सिनाख्त भी होती है | उसी माध्यम से हम अपने आप को पुरातन पीढ़ियों से जोड़तें हुए उस स्थान या पूर्वज के उस नाम तक पहुच पातें हैं जहाँ तक का वर्णन लिखित या जुबानी हमें मिल पाता है | इस साक्ष्य का बहुत ही अभाव सामने आ रहा है कहीं से कोई भी सोपान हमें उस पुरातन इतिहास तक ले जाने में अथवा एक कड़ी के रूप में वहां तक पहुचाने में सार्थक भूमिका निभानें में सक्षम नहीं हो पा रहा है | आज जो भी साक्ष्य लोकोंक्ति के तौर पर उपलब्ध है वहीं हमें आगे लें जानें में सहायक हों रहीं हैं| पारिवारिक बुजुर्गों द्वारा वर्णित पुर्वजीय बात जों अपनें गाँव के स्थापना के बारे में मिलता है वह कुछ इस प्रकार का है | सर्व प्रथम मैं अपनें कुल-खानदान के साथ, इस कुल के सर्व शक्तिमान प्रथम पूज्य पूर्वज बाबा दुलम नाथ को कोटिश: नमन करते हुए इस कुल की सर्व शक्तिमान कुलदेवी माँ कलिडीहा बाईशी जी को सम्पूर्ण श्रद्धा तथा तन-मन व धन से नमन कर अपने आप को तथा पूर्ण कुल को धन्य व भाग्यशाली मानता हूँ, जिसको ऐसे महान आराध्यों का कृपा व आशीर्वाद सदैव प्राप्त हो रहा है | बाबा दुलम नाथ जी हमारे कुल के सर्व शक्तिमान प्रथम पूर्वज हैं जो भरसी गाँव को इस जगह पर स्वंग आकर स्थापित कियें हैं तथा आज तक अपनें गौतम गोत्रीय त्रिप्रवरीय वंशज की रक्षा करते हुए उन्नति के पथ पर विद्यमान किये हुए हैं | गाँव के मध्य में एक पुरातन बट बृक्ष है जहाँ बाबा की ब्रम्ह पीढ़ी मौजूद है यही महानतम पूज्य बट बृक्ष बाबा के यहाँ आने का पुर्वजीय साक्ष्य संजोये हुए साक्षात् हमारे पूज्य पूर्वजों का एक जिवंत प्रतिक स्थापित करता हैं| जहाँ बाबा का परिवार प्रतिदिन सुबह-शाम पूजा अर्चना करता रहता है | हर तरह का शुभ प्रसंग व त्यौहार बाबा के पूजा-अर्चना के बाद ही शुरू होता है| भरसी गाँव का हर ब्यक्ति बाबा का कृपापात्र है | बाबा सबकी मनोकामना पूर्ण करतें हैं, सबकी रक्षा करते हुए गाँव का प्रतिपल उत्थान करतें हैं | ऐसे परम श्रद्येय बाबा को शत-शत नमन | जैसा की पूर्वजों द्वारा सर्व विदित है कि बाबा से पहले के पूर्वजों का निवास स्थान, बिहार राज्य के मधुबनी जिला में बताया जाता है | वें लोंग उस समय में वहां के राजा (नाम अज्ञात) के राज्य में राज्यगुरु के उच्च पद पर विद्यमान होकर, उस राज्य के राजविषयक एवं निति विषयक जबाबदारी का निर्वहन कर रहें थे | ब्राह्मणों में उच्च कुल व राज्यगुरु का सम्मान, वहाँ बहुतों को राष नहीं आ रहा था जिससे वहां के अन्य विद्वत गणों में नाराजगी का ब्याप्त होना मानव स्वाभाव से परें का न था | जिससे वही हुआ भी, इनके मातहत अवज्ञा न कर पाते पर इनकें अपमान का व राजगुरु के पद से उतारने का कोई अवसर भी नहीं चूकते | एक अवसर उनके हिसाब से उन्हें मिला भी | हमारे कुल में कुलदेवी माँ कलिडीहा बाईशी जी की वार्षिक पूजा होती है जिसमें बली देने का पवित्र बिधान पुर्वजीय है | जिसे आज भी मुख्य पूजा के रूप में श्रद्धा और पवित्रता से निभाया जाता है | उस समय हमारे पूज्य पूर्वज इसी वार्षिक पूजा में ब्यस्त थे | राजदरबार में राजा को यह बात इस प्रकार बताई गयी कि राजगुरु के घर महत्वपूर्ण पूजा हो रही है जिसमें जानवर बलि दीं जाने की सूचना मिलीं है | राजा से आग्रह किया गया कि बलि किसी भी प्रकार सें राजगुरु को शोभा नहीं देतीं | अत: इसका निरिक्षण स्वयं महाराज करें और सत्य होने पर राजगुरु को पदच्युत करें | बताया जाता है कि राजा इस प्रस्ताव से सहमत न थें पर विवश होकर उनको पूजा स्थल का निरिक्षण करनें का फैसला करना पड़ा तथा स्वयं वहां जाना पड़ा | अचानक राजा का वहां विद्वत जनों के साथ पहुचना हमारें पूज्य पूर्वजों को नागवार लगा और राजा से स्वयं के आने का कारण सुन आघात भी लगा| पूजा बलि में सुवर का छौना (छोटा बच्चा) ही चढ़ाया जाता है | जिसकी सिनाख्त राजा के सामनें होनीं है अत: माँ का स्मरण कर हमारें पूज्य पूर्वजों ने छौने के ऊपर का रखा हुआ ढाका हटाया तो माँ भगवती की कृपा से वहां पर कुछ कमल के फूल दिखाई पड़े | जिसे देख कर सभी लोग अचम्भें में पड़ गए और राजा द्वारा राजगुरु का जय-जय कार किया गया | प्रसाद पा कर शर्मिंदगी का भाव लिए सभी के साथ राजा तो राजभवन लौट आयें | पर उधर राजगुरु के वहाँ पूजा में अचानक इस प्रकार के परिस्थिति पर चिंता के वातावरण का होना स्वाभाविक था, पर पूजा अपने श्रद्धाभाव से पूर्ण हों गयीं पर सबके मन में इस घटना ने तमाम बातें पैदा कर गयीं | तत्पश्चात बाबा दुलम नाथ का आत्मसम्मान वहां पर उन्हें रुकनें की इजाजत कदापि नहीं दे रहा था | अत: सामर्थ्यवान सम्माननीय बाबा दुलम नाथ, उस राज्य को सदा के लिए भुला कर एवं अपनों को आश्वस्त कर कि मैं अब यहाँ नहीं रुक सकता, आगे आप सब की अपनी मर्जी | बाबा का बढ़ता कदम दुर्गम कठिनाइयों कों पार करतें हुए इस जगह पर विश्राम के लिए रुक गया जिसका प्रत्यक्षदर्शी गवाह एवं इस कुल का आश्रय दाता यह पूज्य व पुरातन बट बृक्ष, आज भी इस कुल का मशीहा बन इस गाँव को अपनें गोंद में बिठा कर दुलार रहा है जों इस विकसित गाँव पर पुर्वजीय कृपा ही है | यह इलाका पहलें घनघोर जंगलों वाला रहा होंगा कारण इसकी पुष्टि गाँव के पास बहती तरैना नदी व उसर बंजर भूमि का दूर-दूर तक की ब्यापकता बता रही है | पूर्वजों द्वारा इस इलाके को जंगल के नाम से संबोधित करना भी वास्तविकता का प्रमाण दे रहा है | आर्य पूर्वज अपना पड़ाव नदी के पास ही बनातें रहें हैं, इतिहास इसका गवाह है | बीहड़ जंगल और दुर्गम सफ़र में विश्राम का समय उस पर खूंखार जानवरों का जंगल में बसेंरा | रात्रि के दरम्यान शेर की एक दहाड़ से बाबा की नींद टूट जाती है और थके हुए बाबा से जानवर और मनुष्य में अस्तित्व का घोर युद्ध होता है, जिसमे जख्मी बाबा का कुछ दिन बाद निधन हो जाता है | पर बाबा की पुण्यात्मा इसी पुण्य जगह पर अपनें को इस पवित्र बट बृक्ष के साथ आत्मसात कर लेती है और बाबा परम अमरत्व को प्राप्त कर अपने परिवार को स्वप्न में सन्देश देते हुए आदेश देतें हैं कि मेरें पास यहाँ आओं और मेरीं पीढ़ी बना कर पूजा अर्चना करते हुए यहाँ वास करो | मै हर तरह की रक्षा करते हुए अपने बाल-गोपाल का पथ प्रदर्शक बन कर उनके सुख, समृद्धि व विकाश में सदैव सहभागी बन यहाँ विद्यमान रहूँगा | उधर बाबा की चिंता में ब्यथित परिवार इस स्वप्न को शिरोधार्य करके बाबा की खोंज में उनकें अनुज वहां से निकल पड़े | कुछ दिन बाद वें लोंग भी इसी स्थान पर बाबा की कृपा से आ पहुचें| वही जंगल वही जानवर पर बाबा का प्रताप हुआ और रात्रि में उन लोगों को पुन: स्वप्न दिखा, जिसमे आदेश मिला की यही वह जगह है, जहाँ मै अंतर्ध्यान हो चूका हूँ | अब तुम लोग यहाँ वास कर मेरे पास रहकर अपना स्वतंत्र विकास करो| बाबा के अनुज करन बाबा तथा उनकें साथियों ने मिलकर वहीँ अपना निवास बनाया जो आज सदियों से भरसी गाँव के नाम से श्रेष्ट ब्राह्मण की प्रतिष्ठा को प्रतिष्ठित करते हुए गोरखपुर जिले के गोला बाजार तहसील (पुराना- बांसगांव) में अपनी प्रखरता व कुलीनता का दमदार मिशाल बन बाबा के गोंद में प्रतिष्ठित हो, लोगों द्वारा ब्राह्मणीय सम्मान का हकदार बना हुआ है | जहां आज भी यह गाँव भारतीय संस्कृति व आर्य सभ्यता को शिरोधार्य किये हुए अपने बंश बेली में क्रमश: बृद्धि करते हुए उत्तरोत्तर प्रगति पथ पर प्रखर हो विद्यमान है | इस सन्दर्भ में एक दूसरा साक्ष्य भी मिलता है जो तार्किक है पर बिचार करने लायक है | कुछ लोगों का कहना है कि हम सरयूपारीण ब्राह्मण है और बिहार में मैथिली ब्राहमण है तो हम बिहार-प्रदेश- मधुबनी जिले के न होकर उत्तर-प्रदेश- देवरियां जिले में मधुबनी गाँव के हैं | जहाँ पर गौतम गोत्रीय मिश्र परिवार का पूरा गाँव है साथ ही कुल देवी माँ कालीडीहा बाईसी जी का अति प्राचीन मंदिर भी है | जगह की नजदीकी और किसी कड़ी का आभाव इसकी विश्वसनीयता पर प्रश्न लगता है | उनका गौतम गोत्रीय होना अपनत्व कों सशक्त करता है लेकिन हमारे इस कड़ी से न जुड पाने का आभाव समझ से परे का लगता है | ज्ञान व पांडित्य स्वतंत्र होता है जो कहीं भी जा सकता है तो संभव है कि हमारे पूर्वज राजगुरु का पद वहाँ पर लिए हों और उनके विरोध का सामना करना पडा हों | लेकिन महारिषि गौतम और अहिल्या के सभी दृष्टान्त दोनों साक्ष्य अपने आप में दम-ख़म दिखा रहें हैं | जरूरत इन पर अनुसंधान करने की लग रहीं है, ताकि हम अपना पुराना वजूद बिना किसी संसय के साथ अपने आने वाली पीढ़ी को दें सकें | गाँव की रुपरेखा और रहन- सहन जैसा कि गाँव के मध्य में बट बृक्ष के साथ बाबा की ब्रम्ह पीढ़ी, माँ दुर्गा जी का नवीन मंदिर आस्था का भंडार लिए पूजा-आरती व भाव- प्रसाद से सबको एकात्मसात कर अपनें परम आशीर्वाद से सबको अभिसिंचित कर रहा है| उत्तर दिशा में पांच बीघे में फैला हुआ पोखरा व कन्या विद्यालय, प्रकृति व शिक्षा का संगम बना रहा है | पूर्व दिशा में माँ काली जी व डीह बाबा का चबूतरा साथ ही पंचायत भवन तथा गाँव के प्रवेश पर बजरंगबली जी का अति नवीन मंदिर ग्राम प्रहरी बन सबकी रक्षा कर रहा है| माँ देई बरहजपार का पुरातन व शक्ति संचित स्थान व भोले बाबा का प्राचीन मंदिर दूर-दूर तक के लोगों की मनोकामना पूरण कर रहा है| माँ समय डंडारी का पावन स्थान, अगूवान बीर बाबा का निर्मल स्थान श्रद्धा व आस्था का भंडार लिए दूर तक लोगों में धर्म का संचार कर रहा है | गाँव की चौहद्दी, पूरब में गोला बाजार से कौरीराम तक जाने वाला मुख्य मार्ग, पश्चिम में तरैना नदी, जिसके पश्चिम में उसर-बंजर भूमि तथा पूरब में खेतीहर जमीन पाई जाती है | उत्तर में चंद्र बंशीय क्षत्रिय का समृद्ध गाँव सिधारी व डांडी बाजार से चीनी मिल तक जाने वाला संपर्क मार्ग है | दक्षिण में मंझगांवा से उरुवाँ बाजार तक जाने वाला सम्पर्क मार्ग आवा- गमन को सरल व सुगम बना रहा है | भौगोलिक एवं धार्मिक साक्ष्य को देखें तो यहाँ जाड़ा (ठंढी) गर्मी एवं बरसात, तीनों रीतुओं का ब्यापक प्रमाण में असर होता है | गर्मी में लूह तो ठंढी में घना कोहरा एवं बरसात में जोरों की बारिस अपना खूंब रंग दिखाती है| समतल एवं उपजाऊं जमीन, बाजार एवं आधुनिक तकनिकी अब्यवस्था के चलते शदियों से दो फसल रबी व खरीफ पर आज भी आधारित है| रबी की फसल में मुख्यत: गेंहूँ, गोजई, जौ, चना, मटर, सरसों, तीसी, गन्ना तथा खरीफ मे धान, रहर, तिल, बाजरा, सनईं, पेटुआ, साँवाँ, कोदों, टागुन इत्यादि बोया जाता था | पर अब साँवाँ, कोदों, सनईं, पेटुआ, टागुन आदि बिलुप्त प्रजातियाँ हो गई हैं | चना व गन्ना भी अब नदारत हो गया है| मटुरी कचरी व शोकन धान का भुजिया चावल व भूजा अब सपना हो गया है | कृषि पर गुजरान होने से श्रम व शिक्षा दोनों अन्यत्र भटकने पर बाध्य है जो मात्र सरकार के अड़ियल व राजनितिक उठा-पटक की देन है| प्राकृतिक सम्पदा का अभाव नहीं है लेकिन उद्योगों का इस धरा पर आना, आजादी के बाद से अब तक राजनितिक उपेक्षा की शिकार ही बनी हुई है| गाँव के चारों तरफ आम व महुवा के बाग़ पूर्वजों के कठोर परिश्रम को बयां करते है जो अब समाप्ति के कगार पर खड़े दिख रहें हैं| गाँव के डीह की जमीन व माँ देई बरहजपार की जमीन पुराने खपडों से भरी पड़ी है| जिससे इस बात को बल मिलता है कि यहाँ पुरातन बस्ती रही होगी जिसे थारु प्रजाति का वास भी बताया जाता है| माँ देई को कपूर व लवंग मिश्रित धार तथा जानवर बलि (बकरा) का चढ़ावा तथा दूर-दूर तक के लोगों की अपार श्रद्धा तथा शिवरात्रि के दिन विशाल मेला, भगवान शंकर जी के पवित्र लिंग पर दुग्धा व जलाभिषेक के साथ ही साथ पुरे इलाके के लोगों का एकत्रित होना व पारम्परिक फाग का मनोहारी गायन, आपसी प्रेम व सांस्कृतिक महत्त्व को उजागर करता है| चैत्र राम नवमीं के दिन माँ समय डड़ारी का मेला, अगुवान बीर बाबा को कपूर व सुरती से आराधना व हर समय धार-कराही चढ़ाना व जेवनार के प्रसाद का महात्म्य, धर्म की पराकाष्ठा को प्रदर्शित करता है| तमाम विशिष्ट ईश्वरीय कृपा को परिवार के साथ शत-शत नमन| गाँव के अद्भुत रंग गाँव की वस्ती, बहुतायत में मिश्र घराना, पुस्तैनी पुरोहित – पाण्डेय व दुबे घराना, नेवाषा के प्रताप से शुक्ल परिवार का बढ़ता कद, ग्वाल बंशीय यादव परिवार, बढई परिवार, कहांर, कोहाँर, तेली, एक घर नांई एक घर बनिया, धोबी, मुसलमान व धुनियाँ, तथा दो मौजे में बिभक्त हरिजन बस्ती (भरसी व हटवा) में आपसी भाई-चारा का आपस में उत्तम सौहार्द देखने को मिलता है| त्योहारों में होली का हुड़दंग फाग का फुहार, कीचड़ मिटटी व रंग के रस से सराबोर होना | दीपावली में लक्ष्मी पूजन व मिटटी के दीयों की लड़ी देख कर, मन मुग्ध हो जाता है| जन्माष्टमी में भजन- सोहर व शिवरात्रि में भजन-फाग तो सावन में कजरी, शादी में भोर-सवेर, द्वारपूजा गीत, परछन गीत, मेहमान को गाली गाकर भोजन कराना मधुर व छटादार लोकगीत का बेमिशाल चित्रण है| भाई दूज पर गोधन की पूजा व लड़कियों द्वारा पीडिया में हुड़दंग मचाना, नेवान के दिन पुरे गाँव का बाबा के स्थान पर एक साथ एकत्र होकर नेवान लेने जाना व भोजन के बाद बड़ों का आशीर्वाद लेने जाना, मेरे अपने गाँव की दुर्लभ छटा निश्चय ही मन मोह लेती है| नांगपंचमी में गोबर से घर गोठ्ना, चिक्का-कबड्डी साथ में खेलना, खिचड़ी व सतुआन की दुर्लभ खिचड़ी व मीठे रस में सत्तू का मेल,गजब का पकवान होता है| नवरात्रि में माँ जगत जननी की पूजा व मूर्ति विसर्जन पुरे गाँव को माँ मय बना देता है| मुस्लिम भाइयों के साथ ईद की सिवैयां व रमजान के ताजिया का घर-घर,पूजा व तमाशा तथा केला कटान दोनों धर्मों में एकता का प्रवल प्रमाण है| पशु धन में बैल, भैंस. गाय, बकरी, गदहा इत्यादि सामिल थे | पर अब बैल नदारत हैं, भैंस की भी वही दशा है, हाँ एकाध दरवाजे पर गाय जरूर दिख जाती है जिससे किसान होने का अहसास हो जाता है| पूर्वजों का जीवन बड़ा ही कठिन व संघर्षमयी था, भोजन भी सहज न था | वस्त्र नाम मात्र के रूप में था पर नैतिकता व प्रेम अपने चरम पर था, रिश्तों में चमक थी| बेंडी- ढेकुल से फसल में पानी चलाया जाता था, लढीया से सामान लाया जाता था | कुवार बैसाख की तपती गर्मीं में दवंरी व ओसवनी, मर्द-बर्ध दोनों के लिए परीक्षा की घड़ी होती थी| बड़े मेहनत के बाद ही घर में अनाज दिखता था| पुराने घरों में वास्तु का विशेष ध्यान रखा जाता था | पुर्बमुखी एवं उत्तरमुखी घर, ईशान कोण पर कुंवा, बैलों की चरन, रोशन से भरा आँगन, गलियों की अच्छी ब्यवस्था, जल निकासी की सुगमता, आस-पास घर इत्यादि होनें पर हर तरह की उत्तम सोच पूर्णतया सक्षम व कायम थी| एक दुसरे को सहयोग में आना, शादी-ब्याह में परस्पर सहयोग, आपस में भावनाओं का आदर, पुत्रियों की शादी उच्च कुल में करने का रिवाज, रिश्तों में मिठास, एवं अतिथि स्वागत का विशेष ध्यान दिया जाता था| कुल मिलाकर देखा जाय तो पूर्वजों से हमें जो संस्कार मिलें हैं उन्हें अपने में उतार कर प्रगति करने की जरूरत है| जहाँ तक मेरी जानकारी रही, मैंने अंकित करने की कोशिश की है| जुबानी साक्ष्य के आधार पर पूज्य पूर्वजों की पहचान व नामावली, जिनके बंशज हम हैं वह कुछ इस प्रकार है पूर्वजों के हस्ताक्षर दुलम बाबा व करन बाबा के बाद पूर्वजों का जो साक्ष्य जुबानी मिलता हैं वह नीलकंठ बाबा और मलकंठ बाबा से प्राप्त हो पा रहा है जो इस प्रकार है | “नीलकंठ बाबा और मलकंठ बाबा दो सगे भाई हमारे पूज्य पूर्वज हैं” नीलकंठ बाबा से कोई नहीं और मलकंठ बाबा की दो शादी हुई थी, पहली शादी से दो पुत्र संबोधन बाबा और जुड़ावन बाबा | दूसरी शादी से दो पुत्र भूपति बाबा और लालमनी बाबा यानि मलकंठ बाबा के कुल चार पुत्र हैं| (A) संबोधन बाबा (B) जुड़ावन बाबा (C) भूपति बाबा (D) लालमनी बाबा मल कंठ बाबा के पहले पुत्र संबोधन बाबा का सन 2011 तक का परिवार इस प्रकार है | (A) संबोधन बाबा के दो पुत्र निधि बाबा और लीलाधर बाबा (1-A) निधि बाबा का परिवार (1-B) लीलाधर बाबा का परिवार (1-A) निधि बाबा का परिवार :- निधि बाबा के दो पुत्र लोकई बाबा और भीम बाबा लोकई बाबा का परिवार :- लोकई बाबा के दो पुत्र नंदगोपाल बाबा और शिवगोपाल बाबा | नंदगोपाल बाबा से रामदिहल बाबा, शिवदिहल बाबा और पशुपति बाबा | (१) रामदिहल बाबा से हरनाथ बाबा, पूजा बाबा और बीरबल बाबा, पूजा बाबा से कोई नही | हरनाथ बाबा से ठाकुर बाबा व रामप्रसाद बाबा ठाकुर बाबा से रामनरेश मिश्र, रामलखन मिश्र और मुरलीधर मिश्र जिसमे रामनरेश मिश्र से बसिष्टमुनि मिश्र, कौशलकिशोर मिश्र और सुधीर मिश्र रामलखन मिश्र से कपिलमुनि मिश्र, बृजकिशोर मिश्र और कमलेश मिश्र तथा मुरलीधर मिश्र से आशुतोष मिश्र रामप्रसाद बाबा से बंशीधर मिश्रबंशीधर मिश्र से अनिल, नीरज व बेदप्रकाश बीरबल बाबा से देव प्रसाद मिश्र देवप्रसाद मिश्र से बेनीमाधव मिश्र (२) शिवदिहल बाबा से बैजनाथ बाबा और लालबिहारी बाबा जिसमे लालबिहारी बाबा से कोई नहीं, बैजनाथ बाबा से छाबिनाथ बाबा और बिन्देश्वरी बाबा जिसमे छबिनाथ बाबा से सच्चितानंद बाबा, प्रेमनारायण मिश्र जिसमे सच्चितानंद बाबा से मार्कंडेय मिश्र, जयराम मिश्र, राकेश मिश्र तथा प्रेमनारायण मिश्र से सोनू मिश्र, मोनू मिश्र बिन्देश्वरी बाबा से नरसिंह बाबा से शालिकग्राम मिश्र जिसमे सालिक ग्राम मिश्र जिनसे रामसुंदर और श्यामसुंदर मिश्र (३) पशुपतिनाथ बाबा से चंद्रदेव बाबा और रामगोबिंद बाबा जिसमे चंद्रदेव बाबा के बारे में जानकारी अज्ञात तथा रामगोबिंद बाबा से परमानन्द मिश्र जिसमे परमानन्द मिश्र से देवानंद मिश्र, विजयानंद मिश्र, आनंदप्रकाश बाबा , उभयप्रकाश मिश्र, आनंदप्रकाश बाबा अबिवाहित शिवगोपाल बाबा से नकछेद बाबा जिनसे सत्यराम बाबा और बासुदेव बाबा (1) सत्यराम बाबा से रामबिलास बाबा, नवनाथ बाबा, त्रियुगी बाबा और द्वारिकानाथ मिश्र, रामबिलास बाबा, नवनाथ बाबा से कोई नहीं तथा त्रियुगी बाबा से त्रिपुरारी मिश्रजिनसे विकास और अमन तथा द्वारिकानाथ मिश्र से भानप्रताप जिनसे लक्ष्मीकान्त और कृष्णकांत (2) बासुदेव बाबा से भागी बाबा और रामबहाल बाबा जिसमे भागी बाबा से ठाकुर बाबा जिसमे ठाकुर बाबा से दुखदीन बाबा जिसमे दुखदीन बाबा से राजकुमार मिश्र जिनसे विपलव और इन्शान तथा जगतनारायण उर्फ मुनचुन मिश्र जिनसे गोलू | रामबहाल बाबा से नाथ बाबा जिसमे नाथ बाबा से उमाशंकर मिश्र और रमाशंकर मिश्र जिसमे उमाशंकर मिश्र से गिरधारी मिश्र जिनसे दीपक था रमाशंकर मिश्रसे सोनू और मोनू | भीम बाबा का परिवार:- भीम बाबा के तीन पुत्र रम्मन बाबा, चम्मन बाबा और तिलक बाबा रम्मन बाबा से शिवनंदन बाबा और भिखम बाबा शिवनंदन बाबा से तमेश्वर बाबा, सुनेश्वर बाबा, सत्य नारायन बाबा, श्रीकृष्ण बाबा | (१) तमेश्वर बाबा से लालपति बाबा जिसमे लालपति बाबा से रामकिंकर बाबा जिसमे रामकिंकर बाबा से धर्मेन्द्र मिश्र, शिवनाथ मिश्र (२) सुनेश्वर बाबा से इन्द्रजीत बाबा, परमहंस बाबा जिसमे इन्द्रजीत बाबा से गौरीशंकर मिश्र जिसमे गौरीशंकर मिश्र से तारकेश्वर मिश्र, नरेन्द्र मिश्र, देवेन्द्र मिश्र परमहंस बाबा (बराँव-बसंतपुर वासी) से उमाशंकर बाबा, हरिशंकर मिश्र (3) सत्यनारायण बाबा से हरिबंश बाबा जिसमे हरिबंश बाबा से कोई पुत्र नहीं ( जयंता पत्नी सुधाकर शुक्ला, शुक्लपुरा बरहजपार को नेवासा (4) श्रीकृष्ण बाबा से दिवाकर मिश्र, दिवाकर मिश्रअविवाहित भिखम बाबा से जानकी बाबा, बच्चा बाबा जानकी बाबा से वंशराज बाबा, रामकोमल बाबा रामकोमल बाबा से कोई नहीं वंशराज बाबा से रामसुमेर बाबा, रामाश्रय बाबा, रामनवलिन बाबा और कपिलदेव बाबा जिसमे रामनवलिन बाबा, कपिलदेव बाबा से कोई नहीं रामसुमेर बाबा से श्यामबदन मिश्र, शिवाकांत मिश्र , महानंद मिश्र, विजयकांत मिश्र श्यामबदन मिश्र से नन्हे बाबा, राजू मिश्र, रिंकू मिश्र व शिवाकांत मिश्र से विनय मिश्र, विवेक मिश्र, विकाश मिश्र तथा महानंद मिश्र से प्रवीन मिश्र, दीपक मिश्र व कामिनी (पुत्री) और विजयकांत मिश्र से सूरज मिश्र रामाश्रय बाबा से अश्वनी मिश्र, अखिलेश मिश्र, शिशील मिश्र तिलक बाबा से चिखुरी बाबा चिखुरी बाबा से सूर्यनाथ बाबा, मुक्तनाथ बाबा (१) सूर्यनाथ बाबा से गोरख नाथ मिश्र, रामकृपाल मिश्र, राजदेव मिश्र जिसमे गोरखनाथ बाबा से अरुण कुमार मिश्र व रामकृपाल मिश्र से अरविन्द मिश्र तथा राजदेव मिश्र से बब्लू और (२) मुक्तनाथ बाबा से केदार बाबा जिसमे केदार बाबा से रामकृष्ण बाबा, धनमाली बाबा जिसमे रामकृष्ण बाबा से रमाशंकर बाबा जिसमे रमाशंकर बाबा से शेषनाथ मिश्र जिसमे शेषनाथ मिश्र से संजय मिश्र, डब्लू मिश्र धनमाली बाबा से धांसू बाबा जिसमे धांसू बाबा से कोई नहीं *********************************************************** (1-B) लीलाधर बाबा का परिवार लीलाधर बाबा के दो पुत्र लवटन बाबा, गिरधारी बाबा (1) लवटन बाबा (92 साल के 1798- 1890) से गोधन बाबा गोधन बाबा (71 साल के 1830-1901) से शिवबालक बाबा (गोधन बाबा की रक्षा माफ़ी- बरहजपार के बृजनंदन यादव के घराने के पूर्वजों ने किया जिसमे उनकों तेलियापार कुछ जमीन दी गयी) शिवबालक बाबा (68साल के1852-1920 की शादी पांडेपुरवा में)से जद्दूबाबा जद्दू बाबा (85 साल के 1872- 25.4.1957) की शादी- बच्ची देई से, पुत्री- पटखवली में) से घुरहू बाबा व नागेश्वर बाबा घुरहू बाबा अंधे हो गए और तरैना नदी में गिरने से उनका निधन हो गया जिनकी ब्रम्ह पीढ़ी पुराने घर पर पूर्वजों द्वारास्थापित की गई है | जिनकी सदैव श्रद्धाव भाव पूर्वक आज भी पूजा अर्चनाकी जाती है | बाबा का आशीर्वाद पुरे परिवार को सदैव प्राप्तहोता है, बाबा की कृपा सदैव परिवार पर इसी तरह बरसती रहें | बाबा की जय, बाबा को शत-शत नमन पुरे परिवार के साथ | नागेश्वर बाबा (61साल के 1903-17.21964 की शादी- दुलारी देई-1904 -1995 से, बहन – राजमनी बाबा पांडे, त्रिमोहानी)के तीन पुत्र, पौहारी शरण बाबा, रामसबद मिश्र, रामसमुझ मिश्र पौहारी शरण बाबा (67 साल के 1923 — 23.11.1990 की शादी- नौजादी देई (17.12.1979)से, बहन- विजय नारायण बाबा त्रिपाठी,कोटियाँ- सोपाई घाट) से लाल साहब मिश्र रामसबद मिश्र (1926 की दो शादी, पहली बेलसडा में दूसरी शादी- बादामी देई (1931- 1.11.2010)से, पुत्री- दुक्खी बाबा त्रिपाठी, पटखवली हाल पडरी- नई बाजार) के चार पुत्र, महातम मिश्र, नरेन्द्र कुमार मिश्र, दुर्गविजय मिश्र, तरुण कुमार मिश्र राम समुझ मिश्र (1.7.1937 की शादी, शकुंतला देई से पुत्री- कपिलदेव बाबा त्रिपाठी, नरहरपुर- बड़हलगंज ) के दो पुत्र, अरुण कुमार मिश्र अजय कुमार मिश्र लाल साहब मिश्र (1.10.1952 , की शादी, दर्शना देवी से, बहन- रामललीत बाबा त्रिपाठी, चईतरा- बांसगाँव) से वरुण कुमार मिश्र, नितिन बाबा (अविवाहित) वरुण मिश्र (की शादी, विजयलक्ष्मी देवी से, पुत्री- त्रिपाठी, नारंगपट्टी- सहजनवां) से प्रभात कुमार मिश्र, हर्ष कुमार मिश्र महातम मिश्र – (9.12.1958 की शादी- रम्भा देवी से, पुत्री- गोरख नाथ baba पांडे, नगवां खास- असवनपार घाट ) के पुत्र, अंकित कुमार मिश्र-15.7.1990, पुत्री- माधवी- 8.7.1985 , मनीषा- 25.8.1987 नरेन्द्र कुमार मिश्र (0 .8.1961, की शादी- चिंता देवी से, भोगनाथ बाबा चौबे, भैसवली- बड़हलगंज) के पुत्र, बिपिन कुमार मिश्र, शिवेश कुमार मिश्र 9.3.1988, इन्द्रेश कुमार मिश्र 12.6.1990 दुर्गविजय मिश्र- (1.2.1968 की शादी- आशा देवी से, पुत्री- हरीप्रसाद पांडे, घिपोखर- पकड़ी) के पुत्र, आशुतोष कुमार मिश्र, शिवम् कुमार मिश्र, पुत्री- नेहा 24.4.19 तरुण कुमार मिश्र- (की शादी- नीलम देवी से, पुत्री- मिश्र, सांउखोर- धुरियापार) के पुत्र, अभिनव कुमार मिश्र 22.2.1999, अभय कुमार मिश्र 26.4.2000, पुत्री- ख़ुशी 24.12 बिपिन कुमार मिश्र- (9.3.1988, की शादी- प्रियंका देवी से, बहन- दुर्गविजय त्रिपाठी, बेलकुर- गगहाँ) के पुत्र, प्रियांश कुमार मिश्र, पुत्री- श्रेया अरुण कुमार मिश्र- (0.11.1962, की शादी- पुष्पा देवी से, पुत्री- नर्वदेश्वर मिश्र, सेमरडांडी- खजनी) के पुत्र, अश्वनी कुमार मिश्र, आदित्य कुमार मिश्र, पुत्री- रोमा अजय कुमार मिश्र- (0.11,1964, की शादी- अंजू देवी से, पुत्री- चन्द्रभान त्रिपाठी, नरयनापुर- उरूवां) के पुत्र, पार्थ कुमार मिश्र, पुत्री- सिम्मी, मोनिका सुनकेशरा देई पुत्री यद्दू बाबा बलराजी देई पुत्री यद्दू बाबा शमराजी देई पुत्री यद्दू बाबा अमीरा देवी पुत्रीनागेश्वर बाबा, जगदम्बा बाबा शुक्ल, कोठा- सरंया कपिला देवी पुत्री नागेश्वर बाबा, पत्नी- सदानन्द शुक्ल, शुक्लपूरा मुनक्का देवी पुत्री पौहारीशरण बाबा, पत्नी- शिवशंकर बाबा त्रिपाठी, नगवां -भलूआन अजीता देवी पुत्री रामसमुझ मिश्र,पत्नी-अरविंद त्रिपाठी कोठा- सरंया सुनीता देवी पुत्रीरामसमुझ मिश्र,पत्निडा. सुनील त्रिपाठी भर्रोहियाँ- खजनी मनोरमा देवी पुत्री रामसबद मिश्र, पत्नी- लवकुश शुक्ल पानापार- भैसाबाजार नीलम देवी पुत्री लालसाहब मिश्र, पत्नी- गंगासागर शुक्ल , सरांव संगीता देवी पुत्री लालसाहब मिश्र,पत्निसौरभ शुक्ल, शुक्लपूरा रिंकी देवी पुत्री लालसाहब मिश्र, पत्नी संतोष त्रिपाठी, कलानी- नौसढ़ सिंपल देवी पुत्रीलालसाहब मिश्र पत्नीराजन त्रिपाठी,भर्रोहिया- खजनी माधवी देवी पुत्री महातम मिश्र, पत्नी- आशुतोष शुक्ल, नेवारी- बस्ती ( बेनीगंज- गोरखपुर) (2) गिरधारी बाबा के पांच पुत्र मथुरा बाबा, इश्वरी बाबा, गुलाब बाबा, दुबरी बाबा, और एक नाम अज्ञात (१) मथुरा बाबा से भोला बाबा व शिवहरख बाबा जिसमे भोला बाबा के नव्ल्दियत पर बसंतपुर का नेवासा है जो शिवहरख बाबा को मिला था | जिसमे शिवहरख बाबा से बेलभद्र बाबा, बलदेव बाबा, रामखेलावन बाबा व महादेव बाबा जिसमे बेलभद्र बाबा से उमाशंकर बाबा जिसमे उमाशंकर बाबा से रामदुलार बाबा, श्यामाबाबा, हजारी बाबा, अक्षयबरबाबा जिसमें रामदूलार बाबा से कोई नहीं व श्यामा बाबा सेप्रेमनारायण मिश्रतथा हजारी बाबा से कोई नहीं व अक्षयबर बाबा से जगदम्बा मिश्र, नर्वदेश्वर मिश्र, दयाराम मिश्र तथा बलदेव बाबा कोई नहीं तथा रामखेलावन बाबा से हरिद्वार बाबा जिसमे हरिद्वार बाबा से त्रिवेणी उर्फ लालबहादुर मिश्र जिसमे लालबहादुर मिश्र से प्रदीपकुमार मिश्र,गणेश मिश्र,सुनील कुमार मिश्र.अश्वनी कुमार मिश्र जिसमे प्रदीप कुमार मिश्र से गोलू मिश्र तथा महादेव बाबा या महाबीर बाबा से सत्यनारायण बाबा जिसमे सत्यनारायण बाबा से श्रीप्रकाश मिश्र, शिवकुमार मिश्रजिसमे श्रीप्रकाशमिश्र से विंध्यांचल मिश्र,राधेश्याम मिश्र,पवन मिश्र (२) इश्वरी बाबा से बिशुन बाबा जिसमे बिशुन बाबा से सरयू बाबा व रामदलीप बाबा सरयू बाबा से शिवपूजन बाबा, कृष्णमुरारी बाबा, रामसूरत बाबा, रामनवल बाबा, राजधारी बाबा जिसमे कृष्ण मुरारी बाबा से कोई नहीं व शिवपूजन बाबा से हरिनारायण बाबा जिसमे हरिनारायण बाबा से लालचंद मिश्र, गोरख मिश्र, महेंद्र मिश्र तथा रामसूरत बाबा से रामप्यारे बाबा, सदानंद मिश्र, सिंघासन मिश्र, लालजी मिश्र, जगदीश मिश्र व रामनवल बाबा से नरसिंह बाबा, इन्द्रजीत मिश्र तथा राजधारी बाबा से कोई नहीं रामदलीप बाबा से कमला बाबा व गंगोत्री बाबा जिसमे कमला बाबा से पृथ्वीनारायण बाबा, राजाराम बाबा, बजरंगी बाबा जिसमे पृथ्वीनारायण बाबा से कोई नहीं तथा राजाराम बाबा से सुरेश बाबा जिसमे सुरेश बाबा से बाबुराम मिश्र व भगवान मिश्र तथा बजरंगी बाबा से मुन्ना मिश्र,और प्रमोद उर्फ बब्लू मिश्र, सत्रुघन उर्फ गुलशन मिश्र जिसमे मुन्ना से अभिषेक व प्रमोद से गगन और आकाश तथा गंगोत्री बाबा से उदयनाथ बाबा जिसमे उदयनाथ बाबा से गौरव उर्फ पिंकू व रमण मिश्र (३) गुलाब बाबा से लवचन बाबा तथा लवचन बाबा से बलिकरन बाबा जिसमे बलिकरन बाबा से जटाशंकर बाबा और जटाशंकर बाबा से राम मूरत बाबा, गंगासागर मिश्र जिसमे राममूरत बाबा से चंद्रशेखर मिश्र,अवधेश मिश्रजिसमे चन्द्रशेखर मिश्र से नीत्यानन्द मिश्र, बिनीत मिश्र तथा अवधेश मिश्र से आशुतोष उर्फ चंकी मिश्र, अभिनव उर्फ इल्लू मिश्र तथा गंगासागर मिश्र से संतोष मिश्र जिनसे ट्वीन्कू | जोखू बाबा से दीनदयाल मिश्र, शीतल मिश्र बृजराज मिश्र, रामनेवास मिश्र दुबरी बाबा का विवरण अज्ञात , एक पांचवां नाम भी अज्ञात April 8, 20133 Replies Older posts View Full Site Blog at WordPress.com. 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