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ब्रह्मा
ब्रह्मा
हंसासन में भगवान ब्रह्मा।सृष्टि के रचयितासंबंधितहिन्दू देवताआवासब्रह्मलोकमंत्रॐ ब्रह्मणे नम:।।जीवनसाथीसावित्री, गायत्री, सरस्वतीवाहनहंस, कमल पुष्प
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हिन्दू धर्म
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ब्रह्मा सनातन धर्म के अनुसार सृजन के देव हैं।[1] हिन्दू दर्शनशास्त्रों में ३ प्रमुख देव बताये गये है जिसमें ब्रह्मा सृष्टि के सर्जक, विष्णु पालक और महेश विलय करने वाले देवता हैं।[2] व्यासलिखित पुराणों में ब्रह्मा का वर्णन किया गया है कि उनके चार मुख हैं, जो चार दिशाओं में देखते हैं।[3] ब्रह्मा को स्वयंभू (स्वयं जन्म लेने वाला)[4] और चार वेदों का निर्माता भी कहा जाता है।[3][5] हिन्दू मिथक के अनुसार हर वेद ब्रह्मा के एक मुँह से निकला था।[3][5] ज्ञान, विद्या, कला और संगीत की देवी सरस्वती ब्रह्मा की पत्नी हैं।[6] बहुत से पुराणों में ब्रह्मा की रचनात्मक गतिविधि उनसे बड़े किसी देव की मौजूदगी और शक्ति पर निर्भर करती है।[7]
ये हिन्दू दर्शनशास्त्र की परम सत्य की आध्यात्मिक संकल्पना ब्रह्मन् से अलग हैं।[8][9] ब्रह्मन् लिंगहीन हैं परन्तु ब्रह्मा पुलिंग हैं।[8][9] प्राचीन ग्रंथों में इनका सम्मान किया जाता है पर इनकी पूजा बहुत कम होती है।[10][11] भारत और थाईलैण्ड में इन पर समर्पित मंदिर हैं। राजस्थान के पुष्कर का ब्रह्मा मंदिर[12] [13][14] और बैंकॉक का इरावन मंदिर (अंग्रेज़ी: Erawan Shrine)[15][16] इसके उदाहरण हैं।
व्युत्पत्तिसंपादित करें
कर्नाटक के सोमनाथपुरा में १२ वीं शताब्दी के चेनाकेस्वा मंदिर में ब्रह्मा की मूर्ति।
ब्रह्मा की उत्पत्ति के विषय पर वर्णन किया गया है। ब्रह्मा की उत्पत्ति विष्नु की नाभी से निकले कमल में स्वयंभु हुइ थी। इसने चारो और देखा जिनकी वजह से उनके चार मुख हो गये। [17] भारतीय दर्शनशास्त्रो में निर्गुण, निराकार और सर्वव्यापी माने जाने वाली चेतन शक्ति के लिए ब्रह्म शब्द प्रयोग किया गया है। [18][19]इन्हे परब्रह्म या परम तत्व भी कहा गया है। पूजापाठ करने वालो के लिए ब्राह्मण शब्द प्रयोग किया गया है।
इतिहास
सन्दर्भसंपादित करें
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