Monday, 13 February 2017

कृष्णात्रेय

  Toggle navigation गीता भक्त साहित्य संगीत/कला तीर्थ/यात्रा हिन्दी टाइपिंग  खोज संपर्क करें हरिवंश पुराण विष्णु पर्व अध्याय 109 श्लोक 85-107  हरिवंश पुराण: विष्णु पर्व: नवाधिकशततम अध्याय: श्लोक 85-107 का हिन्दी अनुवाद नारद, पर्वत, गन्‍धर्वों, और अप्‍सराओं के समुदाय, पितर,कारण, कार्य,आधि-व्‍याधि, अगस्‍त्‍य, गालव, गार्ग्‍य, शक्ति, धौम्‍य, पराशर, कृष्‍णात्रेय, ऐश्वर्यशाली असित-देवल, बल, बृहस्‍पति, उतथ्‍य, मार्कण्‍डेय, श्रुतश्रवा, द्वैयापन, विदर्भ, जैमिनि, माठर, कठ, विश्वामित्र, वसिष्ठ, महामुनि लोमश, उत्तंक, रैभ्‍य, पौलाम, द्वित, त्रित, कालवृक्षीय ऋषि, मुनि मेधातिथि, सारस्‍वत, यवक्रीति, कुशिक, गौतम, संवर्त, ॠष्‍यश्रृंग, स्वस्त्यात्रेय, विभाण्डक, ॠचीक, मतदग्नि, तपोनिधि और्व, भरद्वाज, स्‍थूलशिरा, कश्‍यप, पुलह, क्रतु, बृहदग्नि, हरिश्‍मश्रु, विजय, कण्‍व, वैतण्‍डी, दीर्घताप, वेदगाथ, अंशुमान्, शिव, अष्टावक्र, दधीचि, श्वेतकेतु, उद्दालक, क्षीरपाणि, श्रृंगी, गोरमुख, ग्निवेश्‍य, शमीक, प्रमुचु तथा मुमुचु ये और दूसरे बहुत-से उत्तम व्रत का पालन करने वाले ॠष्रि एवं शुद्धात्‍मा मुनि तथा दूसरे यज्ञ परायण, स्‍पृहणीय तथा शान्‍त महर्षि जिनका यहां कीर्तन नहीं किया गया है, सदा मेरे लिये शान्ति प्रदान करें । तीन अग्नि, तीन वेद, तीनों विद्याओं के ज्ञाता, कौस्‍तुभ‍मणि, उच्चै:श्रवा अश्व, श्रीमान धन्‍वन्‍तरि वैद्य, हरि, अमृत, गौ, सुपर्ण (गरुड़), दही, श्वेत सरसों, सफेद फूल, कुमारी कन्‍या, श्वेत छत्र, जौ, अक्षत, दूर्वादल, सुवर्ण, गन्‍ध, बालव्‍यजन (चंवर), कहीं भी प्रतिहत न होने वाला सुदर्शन चक्र, सांड, चन्‍दन, विष, श्वेत वृषभ, मदमत्त हाथी, सिहं, व्‍याघ्र, घोड़ा, पर्वत खोदकर निकाली हुई मिट्टी, लाजा, ब्राह्मण, मधु, खीर, स्‍व‍िस्तिक, वर्धमान् नन्‍द्यावर्त, प्रियंगु, श्रीफल, गोमय, मत्‍स्‍य, दुन्‍दुभि और पटह की ध्‍वनि, ऋषि पत्नियां, कन्‍याऐं, शोभाशाली भद्रासन, धनुष, गोरोचन, रुचक, नदियों के संगम का जल, सुपर्ण, शतपत्र, चकोर, जीव जीवक, नन्‍दीमुख, मयूर, जिनमें मोती और मणि बंधे हुए हों ऐसे ध्‍वज, कार्य सिद्धि करने वाले उत्तम आयुध- ये सब सदा ही मेरी रक्षा करें। पूर्वकाल में आयु, लक्ष्‍मी तथा विजय की अभिलाषा रखने वाले मंगलयुक्त स्‍तोत्र का वर्णन किया था। जो विद्वान मनुष्‍य प्रत्‍येक पर्व में स्‍नान करके जप परायण हो इस आठ सौ मांगलिक नामों से युक्त स्तोत्र का श्रवण करता अथवा कराता है, वह वध और बन्‍धन के क्‍लेश, व्‍याधि एवं शोक से प्राप्त होने वाले पराभव और व्‍याकुलता को नहीं पाता। यह स्‍तोत्र इहलोक और परलोक में भी कल्‍याण प्रदान करने वाला है। इससे धन, यश और आयु की प्राप्ति होती है । यह पवित्र तथा वेद के तुल्‍य आदरणीय है। यह श्रीसम्‍पन्न, स्‍वर्गदायक, सदा पुण्‍यकारक, कल्‍याणमय तथा संतान की प्राप्ति कराने वाला है; इस शुभ, उत्तम एवं बुद्धिवर्धक स्‍तोत्र के सेवन से मनुष्‍यों को क्षेम की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं, यह समस्‍त रोगों को शान्‍त करने वाला तथा अपनी कीर्ति और कुल को बढ़ाने वाला है। जो श्रद्धालु, दयालु और आत्‍मसंयमी मनुष्‍य इसका पाठ करता है, वह सब पापों से शुद्धचित्त हो शुभ गति का भागी होता है।  टीका टिप्पणी और संदर्भ संबंधित लेख [छिपाएँ]हरिवंश पुराण विष्णु पर्व (हिन्दी) 1 • 2 • 3 • 4 • 5 • 6 • 7 • 8 • 9 • 10 • 11 • 12 • 13 • 14 • 15 • 16 • 17 • 18 • 19 • 20 • 21 • 22 • 23 • 24 • 25 • 26 • 27 • 28 • 29 • 30 • 31 • 32 • 33 • 34 • 35 • 36 • 37 • 38 • 39 • 40 • 41 • 42 • 43 • 44 • 45 • 46 • 47 • 48 • 49 • 50 • 51 • 52 • 53 • 54 • 55 • 56 • 57 • 58 • 59 • 60 • 61 • 62 • 63 • 64 • 65 • 66 • 67 • 68 • 69 • 70 • 71 • 72 • 73 • 74 • 75 • 76 • 77 • 78 • 79 • 80 • 81 • 82 • 83 • 84 • 85 • 86 • 87 • 88 • 89 • 90 • 91 • 92 • 93 • 94 • 95 • 96 • 97 • 98 • 99 • 100 • 101 • 102 • 103 • 104 • 105 • 106 • 107 • 108 • 109 • 110 • 111 • 112 • 113 • 114 • 115 • 116 • 117 • 118 • 119 • 120 • 121 • 122 • 123 • 124 • 125 • 126 • 127 • 128 विष्णु पर्व (संस्कृत) प्रथम (1) • द्वितीय (2) • तृतीय (3) • चतुर्थ (4) • पंचम (5) • षष्‍ठ (6) • सप्तम (7) • अष्टम (8) • नवम (9) • दशम (10) • एकादश (11) • द्वादश (12) • त्रयोदश (13) • चतुर्दश (14) • पंचदश (15) • षोडश (16) • सप्तदश (17) • अष्टादश (18) • एकोनविंश (19) • विंश (20) • एकविंश (21) • द्वाविंश (22) • त्रयोविंश (23) • चतुर्विंश (24) • पंचविंश (25) • षड्-विंश (26) • सप्तविंश (27) • अष्टविंश (28) • एकोनत्रिंश (29) • त्रिंश (30) • एकत्रिंश (31) • द्वात्रिंश (32) • त्रयस्त्रिंश (33) • चतुस्त्रिं‍श (34) • पंचत्रिंश (35) • षट्-त्रिंश (36 ) • सप्तत्रिंश (37) • अष्‍टत्रिंश (38 • एकोनचत्‍वारिंश (39) • चत्‍वारिंश (40) • एकचत्‍वारिंश (41) • द्विचत्‍वारिंश (42) • त्रिचत्‍वारिंश (43) • चतुश्‍वत्‍वारिंश (44) • पंचत्‍वारिंश (45) • षट्चत्‍वारिंश (46) • सप्तचत्‍वारिंश (47) • अष्‍टचत्‍वारिंश (48) • एकोनपंचाशत्तम (49) • पंचाशत्तम (50) • एकपंचाशत्तम (51) • द्विपंचाशत्तम (52) • त्रिपंचाशत्तम (53) • चतु:पंचाशत्तम (54) • पंचपंचाशत्तम (55) • षट्पंचाशत्तम (56) • सप्तपंचाशत्तम (57) • अष्टपंचाशत्तम (58) • एकोनषष्टितम (59) • षष्टितम (60) • एकषष्टितम (61) • द्विषष्टितम (62) • त्रिषष्टितम (63) • चतुःषष्टितम (64) • पंचषष्टितम (65) • षट्षष्टितम (66) • सप्तषष्टितम (67) • अष्टषष्टितम (68) • एकोनसप्ततितम (69) • सप्ततितम (70) • एकसप्ततितम (71) • द्विसप्ततितम (72) • त्रिसप्ततितम (73) • चतु:सप्ततितम (74) • पंचसप्ततितम (75) • षट्सप्ततितम (76) • सप्तसप्ततितम (77) • अष्टसप्ततितम (78) • एकोनाशीतितम (79) • अष्टसप्ततितम (80) • एकाशीतितम (81) • द्वयशीतितम (82) • त्र्यशीतितम (83) • चतुरशीतितम (84) • पंचाशीतितम (85) • षडशीतितम (86) • सप्ताशीतितम (87) • अष्टाशीतितम (88) • एकोननवतितम (89) • नवतितम (90) • एकनवतितम (91) • द्विनवतितम (92) • त्रिनवतितम (93) • चतुर्नवतितम (94) • पंचनवतितम (95) • षण्‍णवतितम (96) • सप्तनवतितम (97) • अष्टनवतितम (98) • नवनवतितम (99) • शततम (100) • एकाधिकशततम (101) • द्वयधिकशततम (102) • त्र्यधिकशततम (103) • चतुरधिकशततम (104) • पंचाधिकशततम (105) • षडधिकशततम (106) • सप्ताधिकशततम (107) • अष्टाधिकशततम (108) • नवाधिकशततम (109) • दशाधिकशततम (110) • एकादशाधिकशततम (111) • द्वादशाधिकशततम (112) • त्रयोदशाधिकशततम (113) • चतुर्दशाधिकशततम (114) • पंचदशाधिकशततम (115) • षोडशाधिकशततम (116) • सप्तदशाधिकशततम (117) • अष्टादशाधिकशततम (118) • एकोनविंशत्‍यधिकशततम (119) • विंशत्‍यधिकशततम (120) • एकविंशत्‍यधिकशततम (121) • द्वाविंशत्यलधिकशततम (122) • त्रयोविंशत्याधिकशततम (123) • चतुर्विंशत्य‍धिकशततम (124) • पंचविंशत्‍यधिकशततम (125) • षडविंशत्‍यधिकशततम (126) • सप्तविंशत्यधिकशततम (127) • अष्टाविंशत्यधिकशततम (128) वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह क्ष त्र ज्ञ ऋ ॠ ऑ श्र अः श्रेणियाँ: हरिवंश पुराणविष्णु पर्वपुराण गीता गीता (मूल) गीता -श्रील् प्रभुपाद गीता -तिलक गीता -राधाकृष्णन गीता -अरविन्द गीता -विनोबा गीता -गांधी गीता -जयदयाल गीता -रामसुखदास भक्त चैतन्य महाप्रभु वल्लभाचार्य निम्बार्काचार्य श्रील् प्रभुपाद नरसी मेहता रूप गोस्वामी सनातन गोस्वामी कृष्णदास कविराज भक्तिकाल के कवि साहित्य संस्कृत साहित्य हिन्दी साहित्य (गद्य) हिन्दी साहित्य (पद्य) संगीत/कला वीडियो ऑडियो चित्रकला गायन नृत्य कृष्णलीला रासलीला तीर्थ/यात्रा ब्रज ब्रज के वन द्वारका चौरासी कोस की यात्रा © 2017 सर्वाधिकार सुरक्षित कृष्णकोश

No comments:

Post a Comment