Saturday, 11 February 2017

लक्ष्मण जी के त्याग की अदभुत कथा

Adhyatmik kahani आध्यात्मिक कहानियां

Tuesday, 12 July 2016

लक्ष्मण जी के त्याग की अदभुत कथा । एक अनजाने सत्य से परिचय---

-हनुमानजी की रामभक्ति की गाथा संसार में भर में गाई जाती है।

लक्ष्मणजी की भक्ति भी अद्भुत थी. लक्ष्मणजी की कथा के बिना श्री रामकथा पूर्ण नहीं है अगस्त्य मुनि अयोध्या आए और लंका युद्ध का प्रसंग छिड़ गया -

भगवान श्रीराम ने बताया कि उन्होंने कैसे रावण और कुंभकर्ण जैसे प्रचंड वीरों का वध किया और लक्ष्मण ने भी इंद्रजीत और अतिकाय जैसे शक्तिशाली असुरों को मारा॥

अगस्त्य मुनि बोले-

श्रीराम बेशक रावण और कुंभकर्ण प्रचंड वीर थे, लेकिन सबसे बड़ा वीर तो मेघनाध ही था ॥ उसने अंतरिक्ष में स्थित होकर इंद्र से युद्ध किया था और बांधकर लंका ले आया था॥

ब्रह्मा ने इंद्रजीत से दान के रूप में इंद्र को मांगा तब इंद्र मुक्त हुए थे ॥

लक्ष्मण ने उसका वध किया इसलिए वे सबसे बड़े योद्धा हुए ॥

श्रीराम को आश्चर्य हुआ लेकिन भाई की वीरता की प्रशंसा से वह खुश थे॥

फिर भी उनके मन में जिज्ञासा पैदा हुई कि आखिर अगस्त्य मुनि ऐसा क्यों कह रहे हैं कि इंद्रजीत का वध रावण से ज्यादा मुश्किल था ॥

अगस्त्य मुनि ने कहा- प्रभु इंद्रजीत को वरदान था कि उसका वध वही कर सकता था जो

💥 चौदह वर्षों तक न सोया हो,

💥 जिसने चौदह साल तक किसी स्त्री का मुख न देखा हो और

💥 चौदह साल तक भोजन न किया हो ॥

श्रीराम बोले- परंतु मैं बनवास काल में चौदह वर्षों तक नियमित रूप से लक्ष्मण के हिस्से का फल-फूल देता रहा ॥

मैं सीता के साथ एक कुटी में रहता था, बगल की कुटी में लक्ष्मण थे, फिर सीता का मुख भी न देखा हो, और चौदह वर्षों तक सोए न हों, ऐसा कैसे संभव है ॥

अगस्त्य मुनि सारी बात समझकर मुस्कुराए॥ प्रभु से कुछ छुपा है भला!

दरअसल, सभी लोग सिर्फ श्रीराम का गुणगान करते थे लेकिन प्रभु चाहते थे कि लक्ष्मण के तप और वीरता की चर्चा भी अयोध्या के घर-घर में हो ॥

अगस्त्य मुनि ने कहा - क्यों न लक्ष्मणजी से पूछा जाए ॥

लक्ष्मणजी आए प्रभु ने कहा कि आपसे जो पूछा जाए उसे सच-

सच कहिएगा॥

प्रभु ने पूछा- हम तीनों चौदह वर्षों तक साथ रहे फिर तुमने सीता का मुख कैसे नहीं देखा ?

फल दिए गए फिर भी अनाहारी कैसे रहे ?

और 14 साल तक सोए नहीं ?

यह कैसे हुआ ?

लक्ष्मणजी ने बताया- भैया जब हम भाभी को तलाशते ऋष्यमूक पर्वत गए तो सुग्रीव ने हमें उनके आभूषण दिखाकर पहचानने को कहा ॥

आपको स्मरण होगा मैं तो सिवाए उनके पैरों के नुपूर के कोई आभूषण नहीं पहचान पाया था क्योंकि मैंने कभी भी उनके चरणों के ऊपर देखा ही नहीं.

चौदह वर्ष नहीं सोने के बारे में सुनिए - आप औऱ माता एक कुटिया में सोते थे. मैं रातभर बाहर धनुष पर बाण चढ़ाए पहरेदारी में खड़ा रहता था. निद्रा ने मेरी आंखों पर कब्जा करने की कोशिश की तो मैंने निद्रा को अपने बाणों से बेध दिया था॥

निद्रा ने हारकर स्वीकार किया कि वह चौदह साल तक मुझे स्पर्श नहीं करेगी लेकिन जब श्रीराम का अयोध्या में राज्याभिषेक हो रहा होगा और मैं उनके पीछे सेवक की तरह छत्र लिए खड़ा रहूंगा तब वह मुझे घेरेगी ॥ आपको याद होगा

राज्याभिषेक के समय मेरे हाथ से छत्र गिर गया था.

अब मैं 14 साल तक अनाहारी कैसे रहा! मैं जो फल-फूल लाता था आप उसके तीन भाग करते थे. एक भाग देकर आप मुझसे कहते थे लक्ष्मण फल रख लो॥ आपने कभी फल खाने को नहीं कहा- फिर बिना आपकी आज्ञा के मैं उसे खाता कैसे?

मैंने उन्हें संभाल कर रख दिया॥

सभी फल उसी कुटिया में अभी भी रखे होंगे ॥ प्रभु के आदेश पर लक्ष्मणजी चित्रकूट की कुटिया में से वे सारे फलों की टोकरी लेकर आए और दरबार में रख दिया॥ फलों की

गिनती हुई, सात दिन के हिस्से के फल नहीं थे॥

प्रभु ने कहा-

इसका अर्थ है कि तुमने सात दिन तो आहार लिया था?

लक्ष्मणजी ने सात फल कम होने के बारे बताया- उन सात दिनों में फल आए ही नहीं,

1. जिस दिन हमें पिताश्री के स्वर्गवासी होने की सूचना मिली, हम निराहारी रहे॥

2. जिस दिन रावण ने माता का हरण किया उस दिन फल लाने कौन जाता॥

3. जिस दिन समुद्र की साधना कर आप उससे राह मांग रहे थे,

4. जिस दिन आप इंद्रजीत के नागपाश में बंधकर दिनभर अचेत रहे,

5. जिस दिन इंद्रजीत ने मायावी सीता को काटा था और हम शोक में

रहे,

6. जिस दिन रावण ने मुझे शक्ति मारी

7. और जिस दिन आपने रावण-वध किया ॥

इन दिनों में हमें भोजन की सुध कहां थी॥ विश्वामित्र मुनि से मैंने एक अतिरिक्त विद्या का ज्ञान लिया था- बिना आहार किए जीने की विद्या. उसके प्रयोग से मैं चौदह साल तक अपनी भूख को नियंत्रित कर सका जिससे इंद्रजीत मारा गया ॥

भगवान श्रीराम ने लक्ष्मणजी की तपस्या के बारे में सुनकर उन्हें ह्रदय से लगा लिया.

कोई जड़ हृदय ही होगा जिसके आँखों से इस प्रसंग को पढ़ कर अश्रु ना निकले।

जय श्री राम

जय श्री लक्ष्मण

*🙏🌸रामचरितमानस की चौपाइयों में ऐसी क्षमता है कि इन चौपाइयों के जप से ही मनुष्य बड़े-से-बड़े संकट में भी मुक्त हो जाता है।🌸*

*🙏🌸इन मंत्रो का जीवन में प्रयोग अवश्य करे प्रभु श्रीराम आप के जीवन को सुखमय बना देगे।🌸*

*🌸1.* रक्षा के लिए

*मामभिरक्षक रघुकुल नायक |*

*घृत वर चाप रुचिर कर सायक ||*

*🌸2.* विपत्ति दूर करने के लिए

*राजिव नयन धरे धनु सायक |*

*भक्त विपत्ति भंजन सुखदायक ||*

*🌸3.* सहायता के लिए

*मोरे हित हरि सम नहि कोऊ |*

*एहि अवसर सहाय सोई होऊ ||*

*🌸4.* सब काम बनाने के लिए

*वंदौ बाल रुप सोई रामू |*

*सब सिधि सुलभ जपत जोहि नामू ||*

*🌸5.* वश मे करने के लिए

*सुमिर पवन सुत पावन नामू |*

*अपने वश कर राखे राम ||*

*🌸6.* संकट से बचने के लिए

*दीन दयालु विरद संभारी |*

*हरहु नाथ मम संकट भारी ||*

*🌸7.* विघ्न विनाश के लिए

*सकल विघ्न व्यापहि नहि तेही |*

*राम सुकृपा बिलोकहि जेहि ||*

*🌸8.* रोग विनाश के लिए

*राम कृपा नाशहि सव रोगा |*

*जो यहि भाँति बनहि संयोगा ||*

*🌸9.* ज्वार ताप दूर करने के लिए

*दैहिक दैविक भोतिक तापा |*

*राम राज्य नहि काहुहि व्यापा ||*

*🌸10.* दुःख नाश के लिए

*राम भक्ति मणि उस बस जाके |*

*दुःख लवलेस न सपनेहु ताके ||*

*🌸11.* खोई चीज पाने के लिए

*गई बहोरि गरीब नेवाजू |*

*सरल सबल साहिब रघुराजू ||*

*🌸12.* अनुराग बढाने के लिए

*सीता राम चरण रत मोरे |*

*अनुदिन बढे अनुग्रह तोरे ||*

*🌸13.* घर मे सुख लाने के लिए

*जै सकाम नर सुनहि जे गावहि |*

*सुख सम्पत्ति नाना विधि पावहिं ||*

*🌸14.* सुधार करने के लिए

*मोहि सुधारहि सोई सब भाँती |*

*जासु कृपा नहि कृपा अघाती ||*

*🌸15.* विद्या पाने के लिए

*गुरू गृह पढन गए रघुराई |*

*अल्प काल विधा सब आई ||*

*🌸16.* सरस्वती निवास के लिए

*जेहि पर कृपा करहि जन जानी |*

*कवि उर अजिर नचावहि बानी ||*

*🌸17.* निर्मल बुद्धि के लिए

*ताके युग पदं कमल मनाऊँ |*

*जासु कृपा निर्मल मति पाऊँ ||*

*🌸18.* मोह नाश के लिए

*होय विवेक मोह भ्रम भागा |*

*तब रघुनाथ चरण अनुरागा ||*

*🌸19.* प्रेम बढाने के लिए

*सब नर करहिं परस्पर प्रीती |*

*चलत स्वधर्म कीरत श्रुति रीती ||*

*🌸20.* प्रीति बढाने के लिए

*बैर न कर काह सन कोई |*

*जासन बैर प्रीति कर सोई ||*

*🌸21.* सुख प्रप्ति के लिए

*अनुजन संयुत भोजन करही |*

*देखि सकल जननी सुख भरहीं ||*

*🌸22.* भाई का प्रेम पाने के लिए

*सेवाहि सानुकूल सब भाई |*

*राम चरण रति अति अधिकाई ||*

*🌸23.* बैर दूर करने के लिए

*बैर न कर काहू सन कोई |*

*राम प्रताप विषमता खोई ||*

*🌸24.* मेल कराने के लिए

*गरल सुधा रिपु करही मिलाई |*

*गोपद सिंधु अनल सितलाई ||*

*🌸25.* शत्रु नाश के लिए

*जाके सुमिरन ते रिपु नासा |*

*नाम शत्रुघ्न वेद प्रकाशा ||*

*🌸26.* रोजगार पाने के लिए

*विश्व भरण पोषण करि जोई |*

*ताकर नाम भरत अस होई ||*

*🌸27.* इच्छा पूरी करने के लिए

*राम सदा सेवक रूचि राखी |*

*वेद पुराण साधु सुर साखी ||*

*🌸28.* पाप विनाश के लिए

*पापी जाकर नाम सुमिरहीं |*

*अति अपार भव भवसागर तरहीं ||*

*🌸29.* अल्प मृत्यु न होने के लिए

*अल्प मृत्यु नहि कबजिहूँ पीरा |*

*सब सुन्दर सब निरूज शरीरा ||*

*🌸30.* दरिद्रता दूर के लिए

*नहि दरिद्र कोऊ दुःखी न दीना |*

*नहि कोऊ अबुध न लक्षण हीना ||*

*🌸31.* प्रभु दर्शन पाने के लिए

*अतिशय प्रीति देख रघुवीरा |*

*प्रकटे ह्रदय हरण भव पीरा ||*

*🌸32.* शोक दूर करने के लिए

*नयन बन्त रघुपतहिं बिलोकी |*

*आए जन्म फल होहिं विशोकी ||*

*🌸33.* क्षमा माँगने के लिए

*अनुचित बहुत कहहूँ अज्ञाता |*

*क्षमहुँ क्षमा मन्दिर दोऊ भ्राता ||*

Gajanan Yerawar at 07:22

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