Sunday 12 February 2017

ध्यान क्या है ?

 

मुख्य पृष्ठमूवमेंटध्यानपिरामिडशाकाहारब्रह्मर्षि पत्रीजीपत्रीजी कान्‌सेप्टप्रकाशनसंपर्क

 

Flute Meditation

ध्यान क्या है ?

यदि एक सरल वाक्य में कहें तो ध्यान चित्त की विक्षुब्ध तरंगों के ठहर जाने या पूर्णतया शांत हो जाने का नाम है | यह एक ऐसी अवस्था है जहाँ मन हर प्रकार के विचारों से रहित हो जाता है तथा हमें एक ऐसे प्रवेश द्वार की ओर ले जाता है जहाँ हम वैश्विक ऊर्जा से घिर जाते हैं।ध्यान का अर्थ है अपने मन को रिक्त या शून्य बना लेना। एक बार मन शून्य हो गया तो हमारे भीतर अत्यधिक वैश्विक ऊर्जा व चतुर्दिक व्याप्त सूचनाओं को ग्रहण करने की क्षमता बढ़ जाती है। और अधिक पढ़े...

ब्रह्मर्षि पत्रीजी

ब्रह्मर्षि पत्रीजी पिरामिड स्पिरिचुअल सोसाइटीज़ मूवमेंट, भारत (PSSM) के संस्थापक हैं | गहरे अनुभव के माध्यम से ध्यान की शक्ति का उन्होंने अपने जीवन में जल्दी ही अनुभव प्राप्त किया | वर्ष 1979 में उन्हें दिव्यज्ञान प्राप्त हुआ | तब से, दुनिया भर के लोगों के लिए ध्यान शिक्षा और शाकाहार को बढ़ावा देने को उन्होंने अपने जीवन का मिशन बना लिया | उनका दृष्टिकोण पूरी तरह से वैज्ञानिक और गैरधार्मिक़ है | और अधिक पढ़ें ...

पिरामिड स्पिरिचुअल सोसाइटीज़ मूवमेंट

पिरामिड स्पिरिचुअल सोसाइटीज़ गैर- धार्मिक, गैर - पंथ, गैर - लाभकारी स्वैच्छिक संगठन है जिसका एकमात्र मिशन एक और सभी के लिए आनापानसति ध्यान, शाकाहार और पिरामिड ऊर्जा का संदेश फैलाना है| पिरामिड स्पिरिचुअल सोसाइटीज़ मूवमेंट (PSSM) पूरी दुनिया में नए युग की आध्यात्मिक क्रांति का एक हिस्सा है| यह एक प्रमुख आंदोलन है - मानवता को हिंसा से अहिंसा की ओर, मांसाहार से शाकाहार की ओर, अंधे धार्मिक विश्वास से वैज्ञानिक प्रयोग और वैज्ञानिक तर्क की ओर, जकड़े हुए भौतिकवाद से समझदार आध्यात्मिकता की ओर ले जाने के लिए ...| और अधिक पढ़ें ...

पिरामिड्स

पिरामिड यह सर्वागीण विकास का प्रतीक है| एक पिरामिड में चार पहलू हैं - खनिज साम्राज्य, वनस्पति साम्राज्य, पशु साम्राज्य और मानव साम्राज्य | वे चार राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं| पिरामिड के चार पहलू जहाँ एकजुट हो जाएँ, वहाँ सब एक हो जाते हैं| यही आध्यात्मिकता है| और अधिक पढ़ें...

शाकाहार

शाकाहार आध्यात्मिक जीवन के लिए ज़रूरी है| वास्तव में आध्यात्मिकता और शाकाहार पर्याय बन गए हैं| हर एक किसी को शाकाहारी बनना चाहिए | और अधिक पढ़ें...

कोई कॉपीराइट नहीं| कृपया आनापानसति ध्यान, अहिंसा और आत्मविज्ञान के संदेश का संपूर्ण जगत में प्रचार करें|

Powered by Pyraminds

No comments:

Post a Comment